फाइल फोटो |
सरकार एक बार भी उनके रोजगार के बारे में नहीं सोच रही है, जिसके कारण उनका वयापार करना भी मुश्किल होता जा रहा है. जिसके कारण उनके पास हड़ताल के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है.
बता दें कि ट्रांसपोर्टरों की इस हड़ताल के कारण देशभर में 92 लाख छोटे और बड़े ट्रक के पहिये थम गए हैं. माना जा रहा है कि हड़ताल के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलतारण सिंह की माने तो गुरुवार को परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से उनकी मांगों को लेकर बातचीत हुई थी, लेकिन वो भी बेअसर रही.
इसके बाद देररात केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से भी ट्रांसपोर्ट ने बात की. इसमें एक कमेटी बनाने का आश्वासन दिया गया. जिसे मानने से ट्रांसपोर्टर ने मना कर दिया. उनका कहना है कि कई बार कमेटियां बनी है, लेकिन कुछ हल नहीं निकाला जिसके कारण अब ट्रांसपोर्टर हड़ताल करेंगे. हालांकि, हड़ताल का ज्यादा असर फिलहाल देखने को नहीं मिला है. ट्रांसपोर्ट का मानना है कि इसका असर शानिवार से नज़र आएगा.
क्या है ट्रांसपोर्टर की मांगें...
- पहली मांग ये है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर रोज नहीं, बल्कि 3 महीने में संशोधन होकर तय हो. रोज दाम बदलने के कारण ट्रांसपोर्टर को व्यापार करने में मुश्किल होती है.
- #दूसरी मांग ये है ट्रांसपोर्टर के लिए टोल बेरियर मुक्त हो.
- #तीसरी मांग- इसके साथ ही थर्ड पार्टी इनश्योरेंस में पारदर्शिता लाई जाए. साथ ही इस पर जीएसटी में छूट दी जाए.
- #चौथी मांग- ट्रांसपोर्ट व्यापारी पर लगे लावा पैट टीडीएस खत्म किया जाए.
- #पांचवी मांग- बसों और पर्यटन वाहनों को नेशनल परमिट दिया जाए.
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