Monday 1 July 2024

मर्डर में 302 नहीं 103, ठगी में 420 नहीं 318 और बलात्कार में 376 नहीं अब 64... जानिए नए कानूनों में किस अपराध के लिए लगेगी कौन-सी धारा | Kosar Express


आज यानी 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। पिछले साल संसद द्वारा पारित होने के बाद आज से ये सभी प्रभावी हो जाएंगे। बदलाव के बाद आईपीसी (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), सीआरपीसी (CRPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSS) को लागू कर दिया गया है।

नए प्रावधानों में वैसे तो छोटे-बड़े बदलाव हुए हैं लेकिन एक अहम मुद्दा आतंकवाद का भी है। इसकी वजह यह है कि आईपीसी में आतंकवाद को लेकर कोई भी स्पष्ट परिभाषा थी ही नहीं, जबकि नए कानून के तहत आतंकवाद को विस्तार से परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा के तहत जो भी भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते है तो उसे आतंकवाद की कैटेगरी में रखा जाएगा।
  

पहली बार ई-एफआईआर का प्रावधान
 नागरिकों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए पहली बार जीरो एफआईआर की शुरुआत होगी। अपराध कहीं भी हुआ हो उसे अपने थाना क्षेत्र के बाहर भी रजिस्टर किया जा सकेगा। अपराध रजिस्टर होने के 15 दिनों के अंदर संबंधित थाने को भेजना होगा। पहली बार ई-एफआईआर का प्रावधान जोड़ा गया है। हर जिले और पुलिस थाने में एक ऐसा पुलिस अधिकारी नामित किया जाएगा जो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार को उसकी गिरफ्तारी के बारे में ऑनलाइन और व्यक्तिगत रूप से सूचना देगा।

इन अपराधों को किया गया फिर से परिभाषित

छीनाझपटी
: गैरजमानती और गैर समनीय अपराध BNS-304

आतंकवाद: नई परिभाषा के आधार पर धारा BNS-113

राजद्रोह: राजद्रोह को समाप्त किया गया है लेकिन भारत की एकता अखंडता को खतरे में डालने पर देशद्रोह शब्द जोड़ा गया है, जिसकी धारा (BNS-152)

मॉब लिंचिंग: BNS की धारा 103 (2) के तहत अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान

संगठित अपराध: BNS-111 के तहत परिभाषित और सजा के प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता (BNS 2023) के तहत बदलाव
नए कानून संहिता के तहत धाराओं की संख्या 511 से घटाकर 358 की गई है, और इसके तहत 20 नए अपराध जोड़े गए हैं। कई अपराधों में न्यूनतम सजा का प्रावधान है। साथ ही छोटे-छोटे अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है। वहीं कई अपराधों के लिए जुर्माना बढ़ाया गया है और सजा की अवधि में भी इजाफा किया गया है।

क्या होंगे नए प्रावधानों के फायदे
नए कानूनों को लेकर दावा है कि आम लोगों के लिए छोटी से छोटी शिकायत दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर लगाने या पुलिस को रिश्वत देने की दिक्कत खत्म हो जाएगी। इसके अलावा हत्या लूट, दुष्कर्म, की भी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज हो जाएगी। एक जिले में हुए अपराध की जीरो एफआईआर दूसरे जिले में कराई जा सकेगी। थाना क्षेत्र का हवाला देकर पुलिस लोगों को टाल नहीं सकेगी। केस दर्ज कराने के बाद जांच से लेकर आगे की कार्रवाई तक की सूचना मोबाइल पर SMS के जरिए फरियादी को दी जाएगी।

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