जमशेदपुर के कपाली में स्थित फातिमा मस्जिद अकेली ऐसी मस्जिद है जहां केवल महिलाएं ही नमाज पढ़ सकती हैं। इस मस्जिद के अंदर पुरुषों का आना पूरी तरह से वर्जित है। इस मस्जिद में कोई इमाम भी नहीं है। इस मस्जिद का निर्माण एक सेवानिवृत्त अध्यापक नूर मोहम्मद ने करवाया है। उन्होंने इसे अपनी मरहूम पत्नी फातिमा बेगम की याद में बनवाया है। उनकी पत्नी हमेशा से चाहती थी कि एक ऐसा मस्जिद हो जहां महिलाएं धर्म पुस्तक पढ़ सकें, अपने हुनर को बेहतर बना सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।
फातिमा को कैंसर की बीमारी हो गई थी। जिसके बाद नूर ने कपाली की जमीन को बेचकर पत्नी का इलाज करवाने की योजना बनाई। हालांकि फातिमा की इच्छा थी कि इस जमीन पर मस्जिद का निर्माण हो। जब फातिमा कैंसर की लड़ाई हार गई तो मोहम्मद ने उसकी आखिरी इच्छा को पूरी करने की पूरी कोशिश की। हालांकि उन्हें अपने समुदाय से काफी विरोध झेलना पड़ा।
बहुत से धार्मिक गुरुओं ने केवल महिलाओं के लिए बनाई जा रही मस्जिद के निर्माण का विरोध किया और उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया। सभी तरह के विरोध के बावजूद नूर मोहम्मद डरे नहीं और आगे बढ़ते रहे। आखिरकार कुछ समय बाद लोग उनकी मदद के लिए आगे आए। मोहम्मद ने इस मस्जिद का निर्माण 22 जनवरी 2017 को पूरा कर लिया था।
वैसे तो झारखंड में बहुत से मस्जिद हैं जिनमें महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग प्रांगण हैं। मगर फातिमा मस्जिद पहली ऐसी मस्जिद है जो केवल महिलाओं के लिए बनाई गई है। मस्जिद में नमाज पढ़ाने के लिए कोई इमाम नहीं है। सकीना बेगम जोकि एक अध्यापक हैं वह महिलाओं को सिलाई और कढ़ाई का काम सिखाने के साथ ही कुरान का पाठ करवाती हैं।
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