चाहती तो छुट्टी लेकर आराम करती लेकिन कर्तव्य को दिया पहला महत्व
देवास। देश में कोरोना वायरस महामारी संकट की इस घड़ी में अपनी प्रेगनेंसी के नौवे महीने में भी जिला आपूर्ति अधिकारी शालू वर्मा कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए मैदान में डटी है। वे चाहती तो सरकारी नियमों के अनुसार छह महीने का मातृत्व अवकाश लेकर घर पर आराम करती लेकिन, उन्होंने पूरे समर्पण भाव से अपने कर्तव्यों को महत्व दिया।
जिला आपूर्ति अधिकारी शालू वर्मा लॉकडाउन शुरू होने के पहले अवकाश लेने का निर्णय ले चुकी थी, लेकिन अचानक आई कोरोना की आफत में उन्होंने अपना निर्णय बदल लिया। देवास जिले के खाद्य विभाग की मुखिया होने के नाते जरूरतमंदों को भोजन और अन्य खाद्यान्न सामग्री भेजना उनकी जिम्मेदारी में शामिल है। डॉक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह दी, लेकिन देश के साथ देवास पर आई इस आपदा की घड़ी में उनका मन घर बैठने के लिए नहीं माना। उन्होंने अपने पति अंशुमन पांडे, पांच वर्ष के बेटे अविघ्न पांडे और अन्य परिवार जन से सलाह मशविरा की। उनके सेवा के जज्बे को जानकर परिवार जनों ने सहर्ष ही निर्णय लेने का अधिकार उन्हीं पर छोड़ दिया। शालू वर्मा ने बताया आज जब समाज और देश को मेरी जरुरत है तो भला घर कैसे बैठ सकती थी। परिवार से हौंसला मिलने के बाद मैं अपने कर्तव्यों का पालन करने की कोशिश कर रही हूं।
खाद्य विभाग के अधीन ही किराना सामग्री, खाद्यान्न वह दूध की उपलब्धता , पेट्रोल पंप संचालन के साथ सब्जी की आपूर्ति करना भी शामिल है। लोगों को यह सब उपलब्ध भी होता रहे और कर्फ्यू का पालन भी सुनिश्चित किया जा सके इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे है। यह भी कि सरकार द्वारा बांटी जा रही खाद्यान्न व राहत सामग्री भी जरुरतमंदों तक पहुंचाना खाद्य विभाग की जिम्मेदारी है। शालू वर्मा ने बताया कि परिवार का हौंसला और साथी अधिकारी-कर्मचारियों की मदद से मैं अपना काम बखूबी कर रही हूं। शालू वर्मा ने बताया कि सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने की है और खरीदी केंद्रों पर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए अवकाश के दिनो में भी दफ्तर में काम कर रही हूं। 15 अप्रैल से गेहूं खरीदी शुरु की जाएगी। खास बात यह है कि जिला आपूर्ति अधिकारी शालू वर्मा की प्रेगनेंसी के दिन लगभग पूरे हो गए है। ऐसे में साथी महिला अधिकारी-कर्मचारी उन्हें लगातार आराम करने की समझाइश दे रहे हैं।
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