Saturday 29 February 2020

Dewas - भाजपा नेता, सांसद, विधायक हमारे हर कार्यकम में विघ्न पैदा कर रहें हैं - मनोज राजानी | Kosar Express


देवास। जिला (शहर) कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मनोज राजानी ने भाजपा नेताओ,सांसद, विधायक द्वारा हर कार्यकम में विघ्न पैदा करने का आरोप लगाते हुए प्रोटोकाल के उल्लघंन की बात को ढकोसला बताया है। राजानी ने कहा कि वर्ष 2008 से 2013 तक मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह मुख्यमंत्री थे। इस दोरान वर्ष 2009 से 2014 तक देवास में सांसद सज्जन सिंह वर्मा थे । साथ ही इसी सत्र में बागली क्षेत्र देवास जिले में होने से खंडवा लोकसभा में अरुण यादव सांसद थे, इसलिए वो भी देवास जिले से सांसद माने जाते थे । भाजपा की सरकार ने कांग्रेस के सांसदों से केसा व्यवहार किया था यह में स्मरण दिलाना चाहता हूँ । सड़को का पैसा भारत सरकार से आता था तथा केन्द्र में सरकार कांग्रेस की होने के बावजुद दोनों सांसदों को तत्कालीन कलेक्टर द्वारा बैठको में आमंत्रित न करके केवल भाजपा के विधायको से समिक्षा बैठक आयोजित करते थे। जिसका विरोध मेने सांसद प्रतिनिधि होने के नाते किया था।  उक्त प्रेस नोट में मेने भी वही कहा था जो आज विधायक, सांसद कह रहे है कि प्रशासन सत्ताधारी दल का एजेंट बनकर कार्य कर रहे है ।  वास्तव में विपक्ष का कार्य ही ऐसे आरोप प्रशासन पर लगाना है। साथ ही राजानी ने कहा कि नगर निगम का जहाँ तक प्रश्न है वो भी उस समय जब महापौर कांग्रेस की थी परन्तु तत्कालीन भाजपा सरकार के मंत्रियो के दबावों में सांसद को आमंत्रित नही किया गया। भाजपा नेता सता के नशे में इतने चूर थे की वे अपने ही सांसद के कई बार शासकीय कार्यक्रमों में आमंत्रित नही करते थे।
ऐसे कई अवसर आते है जब सरकार आती है जाती परन्तु लोकतंत्र में शिष्टाचार के नाते ऐसे अवसरो को नही आने देना चाहिए जिसकी शुरुआत पिछले 15 वर्षो में भाजपा शासन के कार्यकाल से हुई है।
कबीर का दोहा आज भी प्रासंगिक है की बोया पेड़ बबूल का तो आम कहा से होय।
समय का चक्र घुमाता रहता है , हमें अच्छे कार्यो की सराहना करनी चाहिए विपक्ष के नेताओ को समझना चाहिए। कि सरकार आपने भी चलाई है और आपके द्वारा किये गए अधूरे कार्यो को पूर्ण करने का अवसर किसी और को मिला है तो उन कार्यो के पूर्ण होने पर बधाईयां देकर खुशियाँ मनाना चाहिए न की तेरा मेरा,मान-सम्मान तथा कुर्सी की लड़ाई को सार्वजानिक कर लोकतंत्र में मर्यादाओं को ताक में रखकर अधिकारों की लड़ाई के बजाय अपने कर्तव्यों एवं दायित्वों को अंगीकृत करना चाहिए जिससे मान सम्मान मिल सके ।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.