देवास। घर से निकलने का तो वक्त मुकर्रर होता हैं, लेकिन लौटने का नही ना जाने किस गली किस, जगह कोई गोली, कोई खन्जर मेरा इन्तज़ार कर रहा हो ना मुझे पता होता है ना मेरे सहपाठियों, वरिष्ठों को...........
यह कोई फिल्मी डायलॉग नही बल्कि कोरी हकीकत हैं। उस विभाग की जहां औरों को सिर्फ खिज, तनाव और आक्रामकता ही नजर आती हैं। लेकिन उस खाकी के पीछे छिपा वह दिल जो अपनो, अपने परिवार, अपने शुभचिंतकों के लिये मचलता भी हैं, तो रोता भी हैं। वह नजर नही आता, पुलिस विभाग में खुशियों का माहौल हर कोई इतनी आसानी से हजम नही कर सकता। मतलब पुलिस का खुशियों से क्या रिश्ता, सिर्फ वर्दी का फर्क हैं। वर्दी उतार देने पर वर्दी उतारने वाला भी उसी कुदरत का बनाया हुआ निजाम हैं। जिसने यह कायनात गढी हैं। उसके भी अरमान मचलते हैं, उसकी भी इच्छाएँ उफान मारती हैं, वह सब कुछ करने को जो उसको छोड़ कर सब कर रहे हैं। वह भी वहा सब कुछ कर सकता हैं। जो सब कर रहे हैं। उसे कौन रोकता हैं, उसको उसकी वह शपथ जिसे लेकर वह पुलिस परिवार का सदस्य बनता है। पुलिस परिवार मे पुलिस हित के लिए कई प्रयास किये गए और किये जा रहे हैं । उन्हीं प्रयासो मे शुमार होली पर रंग पंचमी पर अपनी ड्यूटी देते हुए, हम नागरिकों के साथ ही नही अपने परिवार के साथ भी रंगपंचमी नहीं बनाते हैं। ऐसा ही नजरा आज सिटी कोतवाली मे देखने को मिला। हर वह जवान आज बहुत खुश दिखाई दिये। एक दूसरे को रंग लगाकर व डांस कर अपने उत्साह में चार चांद लगा रहे थे, उनका भी जीवन हैं, वह भी त्यौहार बना सकते हैं। सभी को सुरक्षा देने वाले भी रंग पंचमी मनाते हैं। कुछ ही समय के लिए ही सही लेकिन पुलिस के चेहरे पर भी खुशियां झलकती हैं।
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