झाबुआ। (रहीम शेरानी) परंपरा अनुसार झाबुआ - अलीराजपुर जिले में प्रतिवर्ष अनुसार धुलेटी के दिन शाम 4:00 बजे के लगभग परंपरागत गल कार्यक्रम ग्रामीण अंचलों में होता है। इस कार्यक्रम को देखने के लिए हजारों की तादाद में जन सैलाब उमड़ता है। आदिवासी समाज अपनी परंपरा को आज भी बखूबी निभा रहा हैं ! इस अनोखे आयोजन की तैयारियां काफी दिनों पहले से करनी पड़ती है क्षेत्र का प्रसिद्ध व अनोखा कार्यक्रम आयोजित होता है। इस आयोजन में बच्चे बूढ़े जवान भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। मन्नत धारीयो ने सर्व प्रथम गल देवता की पूजा अर्चना की ओर फिर मन्नत धारी 40 से 45 फीट ऊंचे लकड़ी से बने मचान पर चढ़ते हैं। रस्सियों से बंध कर उल्टा लटक कर हाथ जोड़ कर गल देव की परिक्रमा करते हैं। परंपरा अनुसार बताते हैं ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती है। और घर में सुख शांति आती है। झाबुआ जिले के अंतरवेलीया, कल्याणपुरा, रायपुरिया, आदी ग्रामीण अंचलों में इस तरह के आयोजन होते हैं।
झाबुआ। (रहीम शेरानी) परंपरा अनुसार झाबुआ - अलीराजपुर जिले में प्रतिवर्ष अनुसार धुलेटी के दिन शाम 4:00 बजे के लगभग परंपरागत गल कार्यक्रम ग्रामीण अंचलों में होता है। इस कार्यक्रम को देखने के लिए हजारों की तादाद में जन सैलाब उमड़ता है। आदिवासी समाज अपनी परंपरा को आज भी बखूबी निभा रहा हैं ! इस अनोखे आयोजन की तैयारियां काफी दिनों पहले से करनी पड़ती है क्षेत्र का प्रसिद्ध व अनोखा कार्यक्रम आयोजित होता है। इस आयोजन में बच्चे बूढ़े जवान भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। मन्नत धारीयो ने सर्व प्रथम गल देवता की पूजा अर्चना की ओर फिर मन्नत धारी 40 से 45 फीट ऊंचे लकड़ी से बने मचान पर चढ़ते हैं। रस्सियों से बंध कर उल्टा लटक कर हाथ जोड़ कर गल देव की परिक्रमा करते हैं। परंपरा अनुसार बताते हैं ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती है। और घर में सुख शांति आती है। झाबुआ जिले के अंतरवेलीया, कल्याणपुरा, रायपुरिया, आदी ग्रामीण अंचलों में इस तरह के आयोजन होते हैं।
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