Thursday, 15 November 2018

Video | Dewas - इलाज के लिए तीन साल से भटक रहा संदीप | Kosar Express

दुर्घटना के दौरान हुआ घाव बना नासूर, शासन से इलाज को लेकर नहीं मिल रही आर्थिक सहायता, परिजनों के आत्महत्या करने की दी चेतावनी 

देवास। मल्हार कालोनी का रहने वाला संदीप पिता सुंदरलाल मालवीय 26 वर्ष का 14 फरवरी 2016 को नेवरी फाटे के पास बुदन गांव में बाइक को किसी अज्ञात वाहन ने पीछे से टक्कर मार दी थी। जिससे संदीप गंभीर घायल हो गया था। जिसे जिला चिकित्सालय में भर्ती किया था। जहां से डाक्टरों ने उसे इंदौर एमवॉय अस्पताल रैफर कर दिया। जहां 15 दिन बाद संतोष को डिस्चार्ज कर दिया था। जिसके बाद परिजन संदीप को घर ले आए थे। जिसके बाद उसकी रीढ की हड्डी में तकलीफ होने लगी। जिसके बाद संदीप के इलाज को लेकर परिजन अस्पताल के चक्कर लगा रहे है। लेकिन उसका सही तरीके से इलाज नहीं हुआ। जिस कारण उसका घाव नासूर बन गया और अब वह बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहा है। संदीप के पिता सुंदरलाल का कहना है उसके इलाज को लेकर प्रशासन किसी तरह से मदद नहीं कर रहा है।


ठेले पर लेकर पहुंचे कलेक्टर कार्यालय
संदीप के परिजन उसे ठेले पर लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। कुछ देर बार एसडीएम पहुंचे। जिसके बाद सीएमएचओ एसके सरल को बुलाया गया। जिसके बाद संदीप को जिला चिकित्सालय में भर्ती किया। संदीप के पिता सुंदलाल मालवीय ने बताया कि उसका इलाज मुंबई के नेरोजन हास्पिल में हो सकता है। उसके अलावा उसका इलाज किसी अस्पताल में नहीं होगा। जिसके लिए 4 लाख रूपए का खर्च आएगा। संदीप के पिता सुंदरलाल गांव-गांव जाकर सब्जी बेचते है। जिससे परिवार की जीविका चलती है।

मेरे अंग बेच दो और मेरे बेटा का इलाज करवा दो
संदीप के पिता सुंदरलाल ने कहा कि मेरे बेटे के इलाज के लिए शासन के पास रूपए नहीं है तो मेरे अंग बेचने को तैयार हूं। उस रूपए से मेरे बेटा का इलाज करवा दो। सुंदरलाल ने बताया कि इलाज को लेकर वल्लभ भवन भी गए थे। जहां इलाज के लिए राशि स्वीकृत करने की बात को लेकर कहां कि पहले बेटे को अस्पताल में भर्ती करवाओ। उसके बाद ही इलाज के लिए राशि स्वीकृत होगी।

विधायक ने भी दिया था आश्वासन
संदीप के इलाज को लेकर उसके पिता सुंदरलाल विधायक गायत्री राजे पवार के पास करीब 6 महीने पहले गए थे। जिस पर विधायक ने आश्वासन दिया था कि पति और पत्नी को 5-5 हजार रूपए आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया था। लेकिन सुंदरलाल ने बताया कि विधायक  ने कोई आर्थिक सहायता नहीं की। वहीं उनके पास बीपीएल कार्ड, मजदूर डायरी सहित अन्य दस्तावेज है उसके बाद बेटे का इलाज नहीं हो रहा है। शासन ने गरीबों की बीमारी को लेकर कई योजनाएं बनाई है लेकिन मेरे बेटे को इलाज नहीं मिल रहा है। जिससे वह मौत से बदत्तर जिंदगी जी रहा है।

इलाज के लिए रूपए तो या सल्फास
संदीप के परिजनों ने बताया कि 2 साल से कलेक्टर के पास बेटे के इलाज को लेकर चक्कर लगा रहे है। वहीं करीब 8 महीने से आर्थिक सहायता को लेकर प्रशासन के दर पर गुहार लगा रहे है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बेटे संदीप के इलाज में रोज 500 से 700 रूपए का खर्च आ रहा है। अब एक ही रास्ता हमारे पास है कि पूरा परिवार सल्फास खाकर अपनी जान दे दे। अब देखना है प्रशासन इस गरीब परिवार की सुध लेकर बेहतर इलाज को लेकर कोई आर्थिक सहायता करता है या फिर परिवार बेटे के इलाज के लिए इसी तरह दर-दर भटकता रहेगा।

पुलिस ने बंद करवाने की धमकी दी
कलेक्टर परिसर में परिजन ठेले पर अपने बेटे संदीप को लेकर पहुंचने की सूचना मिलने पर कोतवाली टीआई महेन्द्रसिंह परिहार मौके पर पहुंचे। परिजनों को परिसर से ठेला ले जाने को कहां और सख्त लहजे में धमकी दी कि अगर नहीं ले गए तो अचार सहिता के उल्लघंन में सभी को बंद कर दूंगा। पुलिस और प्रशासन को तीन साल से इलाज के लिए भटक रहे पीडि़त और परिजनों से इस तरह से धमकी देना कहीं न कहीं देशभक्ति और जनसेवा की असली मिसाल का नजारा देखने को मिला। 

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