कमलनाथ और अजय सिंह के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया से संबंधित एक विवाद सामने आया है। उज्जैन में महिला नेता नूरी खान ने चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर अपमान का आरोप लगाया है। बताया गया है कि इसकी शिकायत राहुल गांधी, कमलनाथ और दीपक बावरिया से की गई है। नूरी ने अपनी पीड़ा फेसबुक पर भी वीडियो के जरिए भी जाहिर की है। नूरी के अनुसार पार्टी को यदि सत्ता में आना है तो वरिष्ठों को छोटे-छोटे कार्यकर्ता का सम्मान करना होगा।
मामला क्या है
ज्योतिरादित्य सिंधिया 28 जुलाई को संभागीय बैठक में शामिल होने उज्जैन पहुंचे थे। यहां चुनावी मुद्दों और रणनीति पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के वर्तमान और पूर्व विधायक व सांसद, पूर्व मंत्री और अन्य पदाधिकारी शामिल हुए थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सिंधिया ने कांग्रेस प्रवक्ता नूरी खान को मंच से नीचे उतरने को कहा, जिसके बाद वे मंच से नीचे कुर्सी पर जाकर बैठ गईं। नूरी को इस प्रकार नीचे उतार देने से सभी लोग हैरान हो गए। वहीं नूरी भी इस घटना से असहज हो गईं। सिंधिया के साथ मंच पर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेश सोनी भी मौजूद थे।
पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखकर बताई पीड़ा
घटना के बाद नूरी खान ने सिंधिया के इस रवैये को लेकर नाराजगी जताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखा है। इसके अलावा नूरी ने कमलनाथ और दीपक बावरिया से भी इसकी शिकायत की है। उन्होंने घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी पोस्ट किया है। वहीं नूरी के समर्थकों ने राहुल गांधी ने इस दिशा में एक्शन लेने की मांग की है। मामले के तूल पकड़ते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इसे घर-परिवार का विवाद बता रही है।
नूरी खान का बयान
जब भी सिंधिया जी या कोई भी वरिष्ठ नेता आते हैं तो मैं सभी के सम्मान में खड़ी नजर आती हूं। उस दिन मंच पर गई तो चार कुर्सियां रखी थीं। उज्जैैन के प्रभारी राज्यवर्धन जी ने कहा कि नूरी जी अाप अपनी कुर्सी लाकर बैठ जाइए। ये अफसोस की बात है कि मुझे मेरी कुर्सी खुद मंगानी पड़ी। जब मैं वहां बैठी तो उससे ज्यादा अफसोस और दुख की बात है कि सिंधिया जी ने कहा कि नूरी आप नहीं बैठेंगी। मैं समझती हूं कि पार्टी की गाइड लाइन के तहत शायद मैं गलत तरीके से वहां बैठ गई, लेकिन परिवार के सदस्य से कोई गलती होती है तो समझाने का एक तरीका होता है। सिंधिया जी के कहने पर मैं वहां से अपनी कुर्सी लेकर नीचे आ गई।
यह रवैया सही था क्या
मैं पार्टी की कार्यकर्ता हूं, पार्टी कहती है कि आपको आखिरी पंक्ति में बैठाना है तो मैं बैठ जाती, पार्टी कहती गेट के बाहर बैठना है तो भी मैं बैठ जाती पर मीडिया से सभागृह भरा हुआ था ऐसे में यह रवैया सही था क्या। जब वरिष्ठ नेता क्षेत्र में आते हैं तो उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो कार्यकर्ता उनके सामने है, उसका जनाधार क्या है। मुझे लगता है कि वहां पर महिला कार्यकर्ता के नाते समान दिया जाना चाहिए था। मैं इस मामले को लेकर बहुत आहत हूं। मैंने राहुल गांधी जी तक यह बात पहुंचा दी है कि यदि हमें सरकार बनानी है तो कोई भी वरिष्ठ नेता आते हैं तो छोटे-छोटे कार्यकर्ता का सम्मान होना चाहिए। मैं अपने छोटे-छोटे बच्चों को घर पर छोड़कर राजनीति कर रही हूं। जिस तरीके से त्याग कर छोटे कार्यकर्ताओं को राजनीति करनी होती है, उसका भी वरिष्ठ नेताअों को सम्मान करना चाहिए। मैं नहीं जानती यह घटना क्यों घटित हुई, लेकिन इससे मुझे और अल्पसंख्यक समुदाय को ठेस पहुंची है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.