यूपी के भदोही में थाने में एक शख्स की मौत का मामला सामने आया है. |
अब आपको पूरा मामला बताते हैं. घटना यूपी के शहर भदोही की है. यहां फूलबाग इलाके में 46 वर्षीय ऑटो चालक रामजी मिश्रा अपने परिवार के साथ रहते थे. 29 जून को उनका उनके भाई अशोक मिश्रा से एक मकान के बंटवारे को लेकर कुछ विवाद हो गया. मामला गोपीगंज थाने पहुंचा. दोनों भाइयों को पुलिस थाने उठा ले गई. पीछे से रामजी की बेटी दीपाली और उनकी मां भी पहुंची. दीपाली का आरोप है कि यहां पुलिस वालों ने उसके पिता और चाचा को पीटना शुरू कर दिया. पिटाई से रामजी की हालत गंभीर हो गई. फिर दोनों को लॉकअप में बंद कर दिया गया. दीपाली और उनकी मां को थाने से बाहर कर दिया गया. दीपाली का आरोप है कि इसी पिटाई के बाद लॉकअप में ही उनके पिता की मौत हो गई.
मौत के बाद पुलिस सकपका गई. आनन-फानन में शव को पास के सीएचसी ले जाया गया. फिर शव को जिला अस्पताल ले जाया गया. पिटाई करने का आरोप इंस्पेक्टर सुनील वर्मा पर लगा है. अब तक कार्रवाई के नाम पर बस सुनील वर्मा को लाइन हाजिर किया गया है. बाकी तो सदियों से चली आ रही वहीं जांच का रोना. एसपी सचिंद्र पटेल ने सीओ ज्ञानपुर को जांच के आदेश दिए हैं. डीएम ने भी जांच के आदेश दिए हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इसमें हार्ट अटैक को मौत की वजह बताया जा रहा है. पुलिस हालांकि रामजी की मौत लॉकअप में होने की बात से इनकार कर रही है. उसका कहना है कि रामजी की तबीयत खराब होने पर उन्हें सीएचसी ले जाया गया. फिर वहां से जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां उनकी मौत हुई.
स्थानीय लोग और परिवार इंसाफ मांग रहा है |
परिवार का इकलौता सहारा थे रामजी
रामजी मिश्र की मौत के बाद इस परिवार पर रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है. वो इसलिए क्योंकि रामजी इस परिवार में अकेले कमाने वाले थे. ऑटो चलाकर पूरे परिवार का पेट पालते थे. परिवार में अब पत्नी कंचन और दो बेटियां रेनू, गुड्डी और छोटा बेटा ओम हैं. दीपाली ने वीडियो में भी इस बात की चिंता जाहिर की है कि उनका घर अब कैसे चलेगा. वो मदद की अपील कर रही है. इंसाफ की मांग कर रही है.
पुलिस ने भाई से लिखवाया, नहीं हुई थाने में मौत
लॉकअप में रामजी की मौत के बाद पुलिस वालों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. परिवार वाले एक सुर में ये आरोप लगा ही रहे थे कि पुलिस ने उनके इकलौते सहारे को मार डाला. ऐसे में खुद की गर्दन फंसती देख पुलिस वालों ने एक तरकीब निकाली. आरोप है कि उन्होंने मृतक के भाई से ही लॉकअप में मौत न होने की बात लिखवा ली. लोगों का कहना था कि पुलिस ने खुद को बचाने के लिए ऐसा किया.
भदोही में पीड़ित परिवार और लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. |
पुलिस किसी को भी हवालात में तब ही डालती है जब उसके खिलाफ कोई लिखित शिकायत हो. कोई एफआईआर वगैराह हुई हो. मगर इस मामले में कुछ और ही होने का आरोप है. महज भाइयों में कहासुनी के बाद उन्हें थाने लाया गया. बिना मुकदमा अथवा एनसीआर दर्ज किए ही दोनों भाइयों को पहले पीटा गया. फिर हवालात में डाला दिया गया. इस बात पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ. हालांकि इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
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