नई दिल्ली। भारत के इतिहास में पहली बार किसानों ने हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रीय किसान महासंघ का दावा है कि देश भर में किसान नरेंद्र मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में 1 जून से लेकर 10 जून तक हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान मंडियों में अनाज, सब्जी और दूध की आपूर्ति ठप कर दी जाएगी। कहा जा रहा है कि इस महासंघ से 110 किसान संगठन जुड़े हुए है। भाजपा के पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा समेत समूह के नेताओं ने यहां मीडिया से कहा कि राष्ट्रव्यापी भारत बंद 01 जून से 10 जून को अपराह्न दो बजे तक चलेगा। सिन्हा ने कहा,‘ किसान पूरे देश में एक जून से दस जून तक अनाजों, सब्जियों और दूध जैसे उत्पादों को गांवों से शहरों में भेजना बंद कर देंगे।
वादे के अनुसार समर्थन मूल्य की मांग
उन्होंने यह भी दावा किया कि हालांकि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का वादा किया था जो कि उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक था लेकिन किसानों को अभी तक उच्च कीमतें नहीं मिलीं। सिन्हा ने कहा,‘मैं यह कह सकता हूं कि मोदी सरकार ने उनके (किसानों) लिए कुछ भी नहीं किया। यहां तक कि उन वादों को भी पूरा नहीं किया गया जो भाजपा के घोषणा पत्र में लिखे हुए थे।’
मध्यप्रदेश में अधूरी घोषणा
मध्य प्रदेश के एक किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा,‘हम मांग कर रहे हैं कि एमएसपी जमीन की लागत सहित उत्पादन की पूरी लागत का 1.5 गुना हो। हालांकि सरकार ने इसे अपने आखिरी बजट में घोषित कर दिया था, लेकिन इसमें कोई विशेष विवरण नहीं है और इससे हमें मदद नहीं मिल रही है।’
व्यापारियों से मांगा समर्थन
पिछले महीने महाराष्ट्र में वाम दलों के नेतृत्व वाले एक लम्बे मार्च के लिए किसानों को बधाई देते हुए सिन्हा ने झूठे वादे करने के लिए सरकार की आलोचना की। किसानों ने व्यापारिक संगठनों से भी उनके 10 जून के भारत बंद का समर्थन करने का आग्रह किया।
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