Wednesday 25 April 2018

नाम- आसुमल थाउमल हरपलानी उर्फ आसाराम, उम्र- 77 वर्ष, जुर्म- बलात्कार, सजा- उम्रकैद


नई दिल्ली: नाबालिग से रेप मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. जबकि इस मामले में बाकी दो दोषियों को 20-20 साल की सजा हुई है. इससे पहले बुधवार को ही जोधपुर कोर्ट ने आसाराम और उसके दो सहयोगियों को दोषी करार दिया था. आसाराम पिछले क़रीब 5 साल से ज़्यादा वक़्त से जेल में बंद था.

गौरतलब है कि रेप के मामले में कुल पांच लोग आरोपी थें, जिनमें दो लोगों को बरी कर दिया गया. आसाराम रेप केस में फैसला सुनाने के लिए जेल में ही कोर्ट लगा और वहीं फैसला सुनाया गया. पुलिस ने आसाराम रेप में उनके सेवादारों के ख़िलाफ़ नवंबर 2013 में चार्जशीट दाख़िल की थी. इस केस में कुल 58 गवाहों ने गवाही दी. प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए जोधपुर को किले में तब्दील कर दिया है. पूरे शहर में धारा 144 लागू है. पुलिस और सुरक्षाबलों के जवान फ़्लैग मार्च कर रहे हैं. हर आने-जाने वालों की तलाशी ली जा रही है.आसाराम के जोधपुर आश्रम को भी ख़ाली करा लिया गया है.

वर्ष 2013 में सामने आया था मामला - 
वर्ष 2013 में शाहजहांपुर की रहने वाली 16 साल की लड़की ने आसाराम पर उनके जोधपुर आश्रम में रेप का आरोप लगाया था. यह मामला सुर्खियों में आने के बाद सभी चौंक गए. पीड़िता के परिजनों ने दिल्ली के कमला मार्केट थाने में मामला दर्ज कराया. बाद में इस मामले को जोधपुर ट्रांसफर कर दिया गया था. आरंभिक जांच के बाद जोधपुर पुलिस ने आसाराम को गिरफ्तार किया था. बाद में कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया था. 

पुलिस ने चार्जशीट में मानी थी रेप की बात - 
नवंबर 2013 में जोधपुर पुलिस ने आसाराम और चार अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया. चार्जशीट में कहा गया कि 16 साल की लड़की के साथ आसाराम ने रेप किया था. चार्जशीट दायर होने के बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने जिला और सत्र न्यायालय को केस की हर दिन सुनवाई करने को कहा. इसके बाद जोधपुर की अदालत ने आसाराम के खिलाफ बलात्कार, आपराधिक षड्यंत्र और अन्य अपराधों के लिए आरोप तय किए थे. 

गवाहों की हुई हत्या, अपहरण भी हुए - 
आसाराम पर तमाम आरोपों की सुनवाई के दौरान कई गवाहों की हत्या हुई, अपहरण हुए और उन्हें धमकाया गया. रेप मामले के मुख्य गवाह कृपाल सिंह को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के पुवायन इलाके में गोली मार दी गई थी. आसाराम के करीबी रहे और बाद में सरकारी गवाह बन गए अमरुत प्रजापति की राजकोट में कथित तौर पर हत्या हो गई थी. इसी तरह किसी जमाने में आसाराम के बेहद खास रहे दिनेश गुप्ता की उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी. इसके अलावा सूरत की दो बहनों से रेप के गवाह अखिल गुप्ता की भी गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान कई गवाहों पर हमले हुए. उन्हें धमकाया गया औऱ बयान बदलने का दबाव डाला गया. 

राजनीतिक संरक्षण भी नहीं आया काम -
आसाराम की तमाम बड़े नेताओं से लेकर आईएएस-आईपीएस अधिकारियों से गरीबी थी. जिसकी वजह से उसे लगता था कि क़ानून के हाथ उस तक नहीं पहुंच सकते हैं. हालांकि जोधपुर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पिछले पांच वर्षों से जेल में बंद आसाराम ने इस दौरान कई बार जमानत याचिका लगाई. कभी बीमारी का बहाना बनाया तो कभी कुछ और, लेकिन जमानत नहीं मिली. 


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