देवास। पैगम्बरे इस्लाम मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश की तारीख़ 12 रब्बीउल अव्वल पर पूरी दुनियां में जश्न मनाया जाता है हर साल की तरह इस साल भी जुलूसे मिलाद कस्साबान मस्जिद पुराना बस, स्टेंड से शुरू हो कर शहर के मुख्य मार्गों से होता हूवा दोबारा पुराना बस, स्टेंड पर खत्म हु़वा जगह - जगह अकीदतमंदों द्वारा स्टेज लगा कर इस्तकबाल किया गया व बच्चों और बड़ों सभी में फ्रूट्स, मिठाइयां, चॉक्लेट के साथ तरह - तरह की सामग्रियां बांटी गई,
मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इंडिया की देवास यूनिट ने भी अपने नबी की मुहब्बत में बच्चों के बीच कॉपियां और पेंसिल तक्सीम की यूनिट संयोजक अमान रज़वी ने बताया की कागज़ और कलम बांटने का मक़सद तालीम की अहमियत को आम करना है हर क़ौम की तरक्की के लिए तालीम हासिल करना बहुत ज़रूरी है हिन्दुस्तान में बदलते हुवे माहोल की वजह भी तालीम से दूरी ही है जहां नबी की सीरत पर अमल करते हुवे मुसलमानों को दीने इस्लाम का सही चेहरा पेश करना था वहां तालीम की दूरी की वजह से कुछ नौजवान विलादत के जश्न के नाम पर शरीयत के खिलाफ़ काम करते नजर आए और उसे ही इस्लामी तालीम समझ रहे है बल्कि इस्लाम तो इन सब खुराफातों को मिटाने और आपसी अमन, चैन और भाईचारे को आम करने वाला मजहब है, पैगम्बरे इस्लाम मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आए ही इस क़ौम से जहालत को दूर करने के लिए है तालीम ही एक ऐसा तराज़ू है जिसके ज़रिए हम एक जाहिल और एक सुलझे हुवे इंसान में फर्क महसूस कर सकते है मुसलमानों को चाहिए की खानकाहे महरहरा से दिए गए बरकाती पैगाम - आधी रोटी खाइए बच्चों को पढ़ाइए- पर अमल करते हुवे इस कम इल्मी की कमज़ोरी को अपने अंदर से जल्द से जल्द दूर करे, एम एस ओ ज़िम्मेदार रफीक अशरफी, सय्यद रय्यान अली,एडवोकेट आवेश शेख, सोहैल कादरी,इकरार अशरफी, जिशान शेख, हसनैन शेख के साथ सरपरस्ते दावते इस्लामी देवास, जनाब अकरम भाई नक्शबंदी व जिम्मेदारान मौजूद रहे ।
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