देवास। जिला अस्पताल के आयसीयू वार्ड में भर्ती एक नवजात शिशु की शुक्रवार को अचानक मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि बच्चे को हमने स्वस्थ हालत में अस्पताल में भर्ती करवाया था। लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बच्चे ने दम तोड़ दिया।
शिप्रा बुरी बरलाई निवासी नरेश गोंदिया के पुत्र का जन्म 7 दिसंबर को शिप्रा के शासकीय अस्पताल में हुआ था। उसके बाद से उसकी तबीयत खराब होने पर परिजनों ने अपने पुत्र को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया था। करीब 17 दिन भर्ती रहने के बाद उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया था। एक दिन पहले उसे परिजन पुन: जिला अस्पताल चेकअप करवाने पहुंचे थे। जहां डॉक्टर ने उसे आयसीयू में भर्ती कर लिया था। शुक्रवार को उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। परिजन अस्पताल में आयसीयू वार्ड के बाहर डॉक्टरों से बहस भी करते रहे। मौके पर चौकी से पुलिस भी पहुंची और परिजनों समझाया।
आक्रोशित परिजनों ने बताया कि जिला अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही के कारण ही बच्चे की मौत हुई है। हम स्वस्थ हालत में उसे जिला अस्पताल चेकअप करवाने पहुंचे थे। गुरूवार तक वह पूरी तरह से ठीक था लेकिन शुक्रवार को आयसीयू के डॉक्टर हमें बोलते है कि बच्चा मर गया। परिजनों ने कहा कि आयसीयू में कोई डॉक्टर नहीं था। उसे ठीक तरह से उपचार नहीं मिल पाया। शिशु की मौत के बाद उसकी मां स्मृता और अन्य परिजन रोते रहे। परिजनों ने थाने पर डॉक्टरों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने की बात भी कही।
इनका कहना :-
जिला अस्पताल के आयसीयू में नवजात का उपचार करने वाले डॉ. भूषण ने बताया कि बच्चा पैदा हुआ तब भी यह बच्चा भर्ती था वह नीला पड़ रहा था। उसे सीरियस इंफेक्शन था फिर कल फिर से आए परिजनों ने कहा कि यह दूध नहीं पी रहा है तकलीफ हो रही है। जो ऑन ड्यूटी डॉक्टर थे उन्होंने देखा बच्चा डल है उन्होंने भर्ती किया। बच्चा एकदम स्वस्थ रहता तो हम भर्ती ही नहीं करते। बच्चे को कल भी इंफेक्शन था और वह सुस्त भी था।
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