देवास/बागली। लॉकडाउन में ढिल मिलते ही पुलिस के ढीलेपन का फायदा उठाकर अवैध कारोबारियों सहित असामाजिक और गौवंशों के तस्कर भी सक्रिय हो गये हैं। गौ-रक्षकों और सेवकों की जागरुकता से ही अकसर गौवंशों की सुरक्षा हो जाती है।
ग्रामीण क्षेत्रों मे पुलिस की लापरवाही, व्यस्तता और सेटिंग के चलते प्रतिदिन अवैध रूप से गौवध के लिए, गौवंश का परिवहन किया जाता है। रविवार की सुबह छह बैलों को वध के लिए परिवहन करते हुए गौ-रक्षकों द्वारा दो वाहनों को पकड़ा गया। गौ-तस्कर बैलों को सनावद ले जा रहे थें। रविवार की सुबह चापड़ा पुंजापुरा मार्ग पर अवैध रूप से गौवंश का परिवहन करते हुए हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा बेलों से भरे दो लोडिंग वाहन क्र. एमपी 10 एल 1489 व एमपी 41 एल ए 0929 को पकड़ कर पुलिस के सुपुर्द किया गया। जानकारी के अनुसार आरोपी पप्पू और कमल दोनो वाहन में अवैध रूप से तीन-तीन बेल भरकर सनावद के बाजार में वध के लिए बेचने जा रहे थें। सूचना मिलने पर हिंदू संगठन के गौभक्त, कार्यकर्ताओं व्दारा पुंजापुरा मार्ग पर वाहन रोक कर जानकारी ली गई तो वाहन चालक किसी प्रकार की जानकारी नहीं दे पाए। मामले की जानकारी बागली पुलिस को दी गई। पुलिस द्वारा दोनों वाहनों को जप्त कर गौवंश, पशुक्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए वाहन को जप्त किया गया। बागली थाना प्रभारी सुनिता कटारा ने पत्रकारों को बताया कि वाहन चालक पप्पू पिता निहाल सिंह चौहान, जाति भिलाला निवासी पीली मिट्टी बड़वाह, जिला खरगोन और कमल पिता धनसिंह भीलाला, काटकूट जिला बड़वाह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वाहन एवं कुल 6 बैलों को जप्त किया गया। कार्रवाई के दौरान जप्त किए बैलों को चन्द्रकेश्वर गौशाला छोड़ा गया है। इस कार्रवाई मे पुलिस यह नहीं बता पाई कि तस्कर वाहन चालक ही हैं या अन्य ? जांच और तहकी़का़त के नाम पर वास्तविक आरोपियों को बचाने के प्रयास की भी चर्चा है। कार्रवाई मे राष्ट्रीय हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं का पुलिस को अच्छा सहयोग रहा हैं।
थानाप्रभारी का कहना की बैलों को वध के लिए ले जाया जा रहा था और इन्ही धाराओं मे मामला दर्ज भी किया गया लेकिन असली आरोपियों को क्यों छुपाया जा रहा है? या सार्वजनिक नहीः किया जा रहा है? यह संदेहास्पद है । वाहन चालकों से पुलिस यह भी पता नहीं लगा सकी कि बैल किसने खरीदे?,और वह लोग कौन है?। थानाप्रभारी का यह बयान की अभी जांच जारी है, पता चलते ही और आरोपी बनाएंगे हजम नहीं हो रहा है। छह बैलों की जान बचाने वालों की प्रशंसा तो की जा रही है ।
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