झाबुआ। (रहीम शेरानी) झाबुआ थांदला मेघनगर सहीत राणापुर मे भी मुस्लिम कस्बे की मासुम आरजू ने इबादतो के पवित्र माह माहे रमजान चले रहै है। ओर भिषण गर्मी मे इंसान के लिए घंटे दो घंटे प्यासे रहना भी बडा मुश्किल है वही मुस्लिम समाज के लोग इस भिषण गर्मी मे भी रोजा रखकर खुदा की बंदगी का सुबूत पेश कर रहे। बड़े तो बड़े लेकीन समाज के छोटे बच्चे भी इस भिषण गर्मी मे रोजा रख कर बंदगी ए खुदा की मिसाल पेश कर रहे है। इसी कडी मे राणापुर नगर के अज्जु पठान की आठ वर्षीय पुत्री आरज़ू खान ने अपने जीवन का पहला रोजा रखा। आरज़ू ने सुबहा 4 बजे सेहरी कर अपना पहला रोजा शुरू किया। और दीन भर भुखी-प्यासी रहकर रोजा रखकर दिन भर खुदा की इबादत की शाम को 7:10 पर रोजा इफ्तार किया। पहला रोजा रखने पर आरज़ू के परीजनो ने पुष्प माला पहना कर उसकी हौसला अफजाई भी की। तिलमिलाती धूप व भीषण गर्मी में मुस्लिम समाज की महिलाएं पुरुष के साथ नन्हे मुन्ने मासुम बच्चे भी रोजे रखकर नमाज व कुरान की तिलावत करते हुए खुदा की इबादत में मशगूल है।
झाबुआ। (रहीम शेरानी) झाबुआ थांदला मेघनगर सहीत राणापुर मे भी मुस्लिम कस्बे की मासुम आरजू ने इबादतो के पवित्र माह माहे रमजान चले रहै है। ओर भिषण गर्मी मे इंसान के लिए घंटे दो घंटे प्यासे रहना भी बडा मुश्किल है वही मुस्लिम समाज के लोग इस भिषण गर्मी मे भी रोजा रखकर खुदा की बंदगी का सुबूत पेश कर रहे। बड़े तो बड़े लेकीन समाज के छोटे बच्चे भी इस भिषण गर्मी मे रोजा रख कर बंदगी ए खुदा की मिसाल पेश कर रहे है। इसी कडी मे राणापुर नगर के अज्जु पठान की आठ वर्षीय पुत्री आरज़ू खान ने अपने जीवन का पहला रोजा रखा। आरज़ू ने सुबहा 4 बजे सेहरी कर अपना पहला रोजा शुरू किया। और दीन भर भुखी-प्यासी रहकर रोजा रखकर दिन भर खुदा की इबादत की शाम को 7:10 पर रोजा इफ्तार किया। पहला रोजा रखने पर आरज़ू के परीजनो ने पुष्प माला पहना कर उसकी हौसला अफजाई भी की। तिलमिलाती धूप व भीषण गर्मी में मुस्लिम समाज की महिलाएं पुरुष के साथ नन्हे मुन्ने मासुम बच्चे भी रोजे रखकर नमाज व कुरान की तिलावत करते हुए खुदा की इबादत में मशगूल है।
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