Wednesday 20 March 2019

Dewas - आयुक्त के आदेश की उड़ रही धज्जियां, निगम अधिकारियों और सत्ताधारियों की सांठ गांठ से एम ओ एस पर नहीं रूका निर्माण कार्य, कोर्ट में दी जाएगी चुनौती | Kosar Express


देवास। विगत माह में निगम आयुक्त नरेन्द्र सूर्यवंशी ने अपने अधीनस्थ अमले केे साथ यमुना नगर में एमओएस की जगह पर बन रहे व्यावसायिक काम्पलेक्स के निर्माण का निरीक्षण किया था। जिसके नियम के विरूद्ध हो रहे निर्माण कार्य को रोकने के लिए अंतिम सूचना पत्र देने के बाद भी निगम अधिकारियों एवं सत्ताधारियों की सांठ गांठ केे चलते यमुना नगर मेें अवैध निर्माण कार्य चल रहा है। प्रभावी बिल्डरों द्वारा निगम अधिकारियों को भारी मात्रा में रिश्वत देकर नक्शा पास करवा लेना आम बात है। शहर की एबी रोड पर 20 से 25 ऐसे मार्केटों का निर्माण हो चुका है जिसमें निगम प्रशासन की काली करतूतें दिखाई देती हैं। शिकायत होने पर निगम अधिकारियों को नोटिस देकर महज औपचारिकता तो पूर्ण कर लेते है फिर उसी शिकायत को ठंडेे बस्ते में डालकर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है। इसी तर्ज पर यमुना नगर के भूखण्ड क्र. 29 व 34 पैकी पर एम ओ एस पर बन रहे मार्केट व्यासायिक काम्पलेक्स का काम रूकने के बजाय उसका निर्माण तेजी से होता दिखाई दे रहा है। इससे यह प्रतीत होता है कि प्रभावी बिल्डर ने निगम को अपने वश में कर रखा है। आयुक्त का आनन फानन में निरीक्षण किया जाना, नोटिस दिया जाना महज एक दिखावा था। निगम महापौर सहित आला अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्य के नाम पर करोडों की लूट के साथ शहर की फिजा बिगाडने का गोरख धंधा किया जा रहा है। यमुना नगर में बन रही मल्टीयों के आगे न तो रोड बनाई गई है न ही पार्किंग के लिए जगह छोडी गर्ई हैं। इन दोनों मल्टियों के सामने रोड निर्माण के लिए नगर निगम द्वारा 57 लाख का टेण्डर जारी कर बिल्डरों को लाभ दिए जाने की कोशिश की गई है। जबकि माननीय न्यायालय द्वारा मल्टियों के सामने रोड बनाने पर रोक लगा रखी है। अवैध रूप से निर्मित होने वाली इन मल्टियों के आगे रोड एवं पार्किंग नहीं होने के बाद जिन 50 लोगों को दुकानें बेची जाना है उनके वाहन कहां खड़े होंगे। जबकि निर्माणाधीन मल्टियों के नीचे पार्किंग भी नहीं बनाई गई है। निगम आयुक्त द्वारा यमुना नगर की इन अवैध बिल्डिंग के निर्माण पर वैधानिक रोक नहीं लगाई गई तो हमें मजबूरन आयुक्त द्वारा दिए गए अंतिम सूचना पत्र की अव्हेलना किए जाने के पक्षधर बनकर उक्त बिल्डिंग के निर्माण को कोर्ट में चुनौती देना पड़ेगी। क्योंकि कुछ सत्ताधारी जनप्रतिनिधि की मनमानी से किसी विशेष बिल्डर के अवैध निर्माण को स्वीकृति प्रदान की जा रही है। जबकि शहर में सैकडों सामान्य लोगों के पैकी प्लाटों पर भवन निर्माण पर रोक लगाई गई है। अवैध निर्माण करने वाले को बढ़ावा दिया जा रहा है। शहर वासियों की परेशानी को देखते हुए ऐसे अवैध निर्माण कार्य पर रोक लगाया या उसे तोडने पर आचार संहिता आडे नहीं आती है। 

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