भाजपा मेरी मां है....मैने कभी पार्टी के साथ विश्वासघात नहीं किया है-बांगर
देवास। देवास विधानसभा से निर्दलीय रुप से चुनाव मैदान में उतरने वाले भाजपा के पार्षद दिलीप बांगर ने रविवार को अपना इस्तीफा भाजपा जिलाध्यक्ष नंदकिशोर पाटीदार को सौंप दिया। अभी तक यह कयास लगाए जा रहे थे की निर्दलीय रुप से चुनाव लडऩे वाले दिलीप बांगर अंतिम तारिख को अपना नामांकन फार्म खींच लेंगे। लेकिन अब उन्होंने पार्टी से बगावत करते हुए इस्तीफा दे दिया है जिससे यह तो तय हो गया कि उन्होंने निर्दलीय रुप से चुनाव में उतरने का मन बना लिया है। अब देवास विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला होगा।
श्री बांगर के बागी रुप में खड़े होने से भाजपा को काफी नुकसान होगा। वहीं कांग्रेस को सीधा फायदा होने की उम्मीद है। अब विधानसभा चुनाव को मुकाबला भाजपा प्रत्याशी गायत्री राजे पवार, जयसिंह ठाकुर और निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप बांगर के बीच रहेगा। दिलीप बांगर तब से नाराज है जब भाजपा ने सभापति का प्रत्याशी दिलीप बांगर को बनाया था। जिसके बाद भी निर्दलीय प्रत्याशी अंसार अहमद को जीत मिली थी। सभापति चुनाव में खुद के साथ हुए धोखे से पार्षद बांगर नाराज थे। निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप बांगर का कहना था कि उनकी लड़ाई भाजपा से नहीं है वंशवाद से है। भाजपा मेरी मां है। मैने कभी पार्टी के साथ विश्वासघात नहीं किया है। निष्कासन का आरोप मुझ पर न लगे इसलिए मैने इस्तीफा दिया है। मेरे कार्यो की आवश्यकता होगी तो पार्टी मेरी सदस्ता को बहाल करेगी। अब मैं वंशवाद के विरोध में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप चुनाव लड़ रहा हूं। पूरे शहर में यह भ्रम फैलाया जा रहा था कि वरिष्ठ नेता मुझे मना लेंगे और मैं चुनावी मैदान से पीछे हट जाउंगा। इसलिए मैने इस्तीफा देना उचित समझा है। सभापति के चुनाव के समय पार्टी का प्रत्याशी होने के बाद भी भाजपा की दुहाई देने वाले गद्दारों ने पार्टी के साथ विश्वासघात किया था। मुझे पार्षद का चुनाव लडऩे के लिए सिंबाल दिया था तो कोई एहसान नहीं किया था। मैं 35 सालों से पार्टी की सेवा कर रहा हूं। जीत पार्टी के सिंबाल से नहीं जनता के आशिर्वाद के कारण हुई थी। मैने इस्तीफा इसलिए दिया है कि कल को आरोप नहीं लेगे कि मैने छाती में छुरा घोंपा है।
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