Sunday, 1 July 2018

नदी पार कर के ले जाया जाता है जनाजा | Kosar Express


विदिशा। बुधवार कोक करारिया गांव में एक व्यक्ति का देहांत हुआ। मुस्लिम रीति रिवास के बाद उन्हें दफनाने के लिए जब जनाजा निकाला गया तब घर वालों और गांव वालों को इस बात की चिंता थी कि जनाजे को कब्रिस्तान तक कैसे ले जाएं। क्योंकि कब्रिस्तान के रास्ते पर सतधारा नदी बहती है। बारिश के कारण उसका जल स्तर भी बढ़ गया है। आखिर चार से पांच फिट पानी में होकर जनाजे को ले जाया गया। दुनिया से अलविदा कहकर जाने वाले इंसान की रूह इस आखिरी सफर पर सुकून चाहती है। मरने वाले के परिवार वाले भी इस सफर को बिना किसी परेशानी के पूरा कर सकें इसकी कोशिश करते हैं। करारिया के एक मुस्लिम परिवार के एक सदस्य के इंतकाल के बाद उन्हें दफनाने के लिए परिजनों और गांव वालों को खासी मशक्कत करनी पड़ी। रह-रहकर कब्र में सुपुर्दे खाक करने से पहले जिन मुश्किल हालात का सामना उन्हें करना पड़ा, वह काफी परेशानी भरा रहा। अव्वल तो अपने के खोने का गम और उस पर हालात बदतर। ग्राम करारिया में रहने वाले शफीक अहमद का बुधवार को इंतकाल हो गया था। गांव और कब्रिस्तान के बीच सतधारा नदी बहती है। जिसमें लगभग १२ महीने पानी रहता है। कभी कभार ही नदी सूखी मिलती है। गांव के आने-जाने के लिए नदी के ऊपर आधे से एक फिट चौड़ी एक मामूली सी पगडंडी बनाई गई है। लेकिन जनाजे को लेकर इस रास्ते पर चल पाना असंंभव था। जिसके कारण नदी के पानी से होकर जनाजे को ले जाना ही एकमात्र रास्ता था। परिवार के सदस्यों और गांव वालों ने जनाजे को चार से पांच फिट पानी से होते हुए नदी पार की। नहर का भी पानी इस नदी में आने के कारण पूरे समय पानी मौजूद रहता है। शमशान जाने वाले रास्ते पर भी यही परेशानी रहती है। गांव वालों का कहना है कि यह समस्या आज की नहीं कई सालों की है, साल के अधिकांश महीनों में इसी प्रकार की समस्या बनी रहती है। सिर्फ कब्रिस्तान ही नहीं बल्कि यहां शमशान जाने वाले रास्ते पर भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरपंच परमाल सिंह जादौन के अनुसार जिस तरफ कब्रिस्तान बना है, उस तरफ खेत हुआ करते थे। गांव में रहने के लिए कमी हुई तो लोग अपने खेतों की ओर घर बनाकर रहने लगे। आबादी बढऩे के साथ नदी पार करने के लिए रास्ते की जरूरत है। इस ओर आबादी को बिजली और अन्य मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है। गांव वालों के साथ हमने भी सांसद, विधायक और अधिकारियों को इसके लिए पत्र लिखे हैं। विधायक की ओर से दो दिन पहले ही पांच लाख रुपए की राशि पंचायत के खाते में आई है। सरपंच का कहना है कि यह राशि पर्याप्त नहीं है। सांसद को दस लाख रुपए इस काम के लिए मांगने के लिए पत्र लिखे हैं, लेकिन सांसद महोदया से मुलाकात ही नहीं हो पा रही। उनके पीए से मिलने की कोशिश की, लकिन मुलाकात नहीं हो पाई है। सुखप्रीत ददी की समस्या बताई थी, उन्होंने सांसद तक पहुंचने और समस्या हल करने की बात कही है।

इसी रास्ते से स्कूल जाते हैं बच्चे



जनाजे को नदी पार कराने की तस्वीर अखबारों में प्रकाशित होने के बाद यह समस्या लोगों के सामने आई है। स्कूल आने जाने वाले बच्चों को भी यह नदी पार करना पड़ता है।यह खबर सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रही है।

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