ताजमहल में नमाज पढ़ने पर लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह दुनिया का सातवां अजूबा,
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दुनिया के सात अजूबों में शामिल मोहब्बत की निशानी ताजमहल में नमाज़ नहीं पढ़ पाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि ये सात अजूबों में शामिल है, यहां नमाज नहीं पढ़ सकते हैं. नमाज किसी और जगह भी पढ़ सकते हैं.
आपको बता दें कि स्थानीय नमाजियों ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि उनके साथ-साथ बाहरी लोगों को भी नमाज़ पढ़ने की इजाजत दी जाए.
गौरतलब है कि ताज महल में मौजूद मस्जिद में हर शुक्रवार को जुमे की नमाज़ पढ़ी जाती है, जिसको लेकर कई बार कुछ तबकों ने विरोध किया है.
पिछले साल कई बार इस तरह की मांग की गई थी या तो नमाज बंद कर दी जाए अन्यथा शिव चालीसा पढ़नी दी जाए. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास विंग अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति (ABISS) ने मांग की थी कि ताजमहल में शुक्रवार को होने वाली नमाज़ पर रोक लगा दी जाए.
कई बार बीजेपी नेता इस प्रकार का बयान दे चुके हैं, जिसमें उन्होंने ताज महल को शिव मंदिर बताया है. कुछ लोगों ने इसे तेजोमहालय भी बताया गया था.
बता दें कि ताजमहल में नमाज पढ़े जाने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने अक्टूबर 2017 में ताजमहल में होने वाली नमाज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
इस समीति की मांग थी कि ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर है, तो क्यों मुसलमानों को इसे धार्मिक स्थल के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है। अगर परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत है तो हिंदुओं को भी शिव चालीसा का पाठ करने दिया जाए।
दुनिया का सातवां अजूबा में नाम दर्ज ताजमहल शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए बंद रहता है जिसका विरोध लंबे समय से किया जाता रहा है। यही नहीं समाज के एक धड़ा यह दावा करता रहा है कि ताजमहल शिव मंदिर पर बना है जिसे एक हिंदू राजा ने बनवाया था। इसलिए अगर वहां शुक्रवार को नमाज पढ़ी जाएगी तो हिंदू वहां शिवचालीसा भी पढ़ेंगे। हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के परिसर में शिव चालीसा पढ़ने की कोशिश की थी और सीआईएसएफ के जवानों ने उन्हें रोक दिया था।
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