Wednesday 20 June 2018

बेघर होंगे दिग्विजय सिंह, उमा, कैलाश और गौर | Kosar Express



भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, उमा भारती, कैलाश जोशी और बाबूलाल गौर को अब सरकारी आवासों से बेदखल कर दिया जाएगा। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। हाईकोर्ट ने सरकार को 1 माह का समय दिया है। संशोधन के खिलाफ लॉ स्टूडेंट रौनक यादव की याचिका पर सुनवाई के दौरा कोर्ट ने आदेश दिए हैं।अदालत ने राज्य सरकार द्वारा नियम में किए गए संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है। बता दें कि उत्तरप्रदेश में इस तरह की कार्रवाई पहले ही हो चुकी है। मप्र में भी मोतीलाल वोरा से उनका आवास खाली करा लिया गया है। 

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस अखिल कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी विधि छात्र रौनक यादव की ओर से अधिवक्ता विपिन यादव ने पक्ष रखा। याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नियम के विरुद्ध सरकारी आवासों में रहते हैं। प्रदेश सरकार ने इस मामले की सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश वेतन भत्ता अधिनियम में 2017 में संशोधन किया था और पूर्व मुख्यमंत्रियों को वर्तमान मंत्रियों के समान वेतन-भत्ते और आवास की सुविधा देने का प्रावधान जोड़ दिया। इस संशोधन की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता ने कहा था कि ये समानता के अधिकार का उल्लंघन है। इसके जरिए मांग की गई कि संशोधित प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्रियों को वित्तीय दृष्टि से पेंशन सहित अन्य भत्तों संबंधी लाभ मिलते हैं और उनके पास खुद के निजी आवास भी हैं। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता के तर्कों को सही माना है और संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद मध्यप्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करना होगा। इससे पूर्व सीएम उमा भारती, दिग्विजय सिंह और कैलाश जोशी प्रभावित होंगे।


ये पूर्व मुख्यमंत्री ले रहे सुविधा
वर्तमान में मप्र सरकार से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सुविधाएं ले रहे हैं। जिनमें कैलाश जोशी, दिग्विजय सिंह, उमा भारती एवं बाबूलाल गौर शामिल हैं। इन चारों को पूर्व मुख्यमंत्री की हैसिहत से आवास, वाहन, वेतन-भत्ते एवं अन्य सुविधाएं मिल रही हैं। यहां बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार के नोटिस के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल बोरा अपना आवास खाली कर चुके हैं।

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