चार लोगों ने गोकशी के शक में सिराज (दाएं) को लाठियों से पीटकर मार डाला.
मध्यप्रदेश में एक जिला है सतना. वहां पर एक इलाका है मैहर. इस इलाके में एक बस्ती है, जिसे पुरानी बस्ती के नाम से जाना जाता है. इस बस्ती में 40 साल के सिराज और 30 साल के शकील रहते थे. पेशे से सिराज टेलर था और कपड़े सिलकर अपने परिवार का पेट पालता था. उसकी पत्नी शशिदुन्निसा भी उसका इस काम में हाथ बंटाती थी और अपने चार बच्चों का पेट पालती थी. वहीं शकील पेशे से ड्राइवर था.
लेकिन एक दिन सब खत्म हो गया. 17 मई की रात को सिराज की उसके घर से करीब 20 किलोमीटर दूर बदेरा इलाके के अमगार गांव में उसकी लाश मिली. वहीं उसके साथ शकील गंभीर रूप से घायल पड़ा हुआ था. पता चला कि सिराज और उसके साथी शकील को अमगार गांव के लोगों ने बैलों के साथ पकड़ लिया और गोहत्या के शक में लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा. इतना पीटा कि जब तक पुलिस पहुंचती सिराज की मौत हो चुकी थी. वहीं शकील गंभीर रूप से घायल है और जिंदगी-मौत के बीच झूल रहा है.
लेकिन इस कहानी के तीन पहलू और हैं. पहला पक्ष गांववालों का है. दूसरा सिराज की पत्नी का और तीसरा पुलिस का.
गांववालों का कहना है कि पिछले कई दिनों से उनके गांव में बैलों की चोरी बढ़ गई थी. बैल लगातार चोरी हो रहे थे. एक बैल की कीमत अगर 10,000 रुपये भी हो, तो किसी भी गांववाले के लिए इतना बड़ा नुकसान झेलना संभव नहीं था. 600 वोटरों के इस गांव की एक बड़ी आबादी उन लोगों की है, जो हर रोज किसी खेत में काम करके अपना पेट पालते हैं. ऐसे में एक बैल चोरी हो जाने पर उनका बड़ा नुकसान होता था. इससे बचने के लिए गांववालों ने तय किया कि वो रात में निगरानी करेंगे. निगरानी शुरू हो गई. इसी दौरान 17 मई की रात को गांव के ही दो लोग किसी का दाह-संस्कार कर लौट रहे थे. उन्हें कुछ काटने की आवाज सुनाई दी, जिसके बाद उन्होंने गांववालों को बुला लिया. गांववालों ने पुलिस को सूचना दी और दोनों की पिटाई कर पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस पहुंची तो सिराज और शकील जिंदा थे. सिराज की मौत कब और कैसे हुई, इससे गांववालों ने इन्कार कर दिया.
बात अब सिराज की पत्नी की.
सिराज की पत्नी शशिदुन्निसा का कहना है कि सिराज खून देखकर घबराता था. इसलिए वो लोग तो ईद में भी कुर्बानी नहीं देते थे. (फोटो: Indian express)
सिराज की पत्नी का कहना है कि सिराज किसी की हत्या नहीं कर सकता है. वो खून देखकर घबराता था, इसलिए वो लोग तो ईद पर भी कुर्बानी नहीं देते थे. सिराज एक महीने पहले ही इस पुरानी बस्ती में रहने आया था. इससे पहले वो मुन्ना लाखर नाम के एक शख्स के घर में किराए पर रहता था. मुन्ना लाखर का परिवार दक्षिणपंथी हिंदू संगठन से जुड़ा था. लेकिन मुन्ना लाखर के बेटे सौरभ ने भी यही कहा कि सिराज एक अच्छा आदमी था और वह मेरे पिता का दोस्त था. वो जानवरों को काटने जैसा काम नहीं कर सकता था.
और बात अब पुलिस की.
पुलिस का दावा है कि भीड़ की पिटाई की वजह से सिराज की मौत हुई है और शकील गंभीर रूप से घायल है. सतना एसपी राजेश हिंगेरकर के मुताबिक अमगर गांव के लोगों को पता लगा था कि दो लोग गोकशी कर रहे हैं. इसके बाद गांववाले मौके पर पहुंचे और सिराज, शकील को घेर लिया. सिराज और शकील ने भागने की कोशिश की, तो वो चूना पत्थर की एक खदान में गिर गए. इसके बाद गांववालों ने लाठी-डंडो से उनकी बुरी तरह से पिटाई कर दी. हमले में सिराज की मौके पर ही मौत हो गई. गंभीर रूप से घायल शकील को जबलपुर के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. पुलिस के मुताबिक इस मामले में पवन सिंह, विजय सिंह, फूल सिंह और नारायण सिंह को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस का दावा है कि भीड़ में 100 से ज्यादा लोग शामिल थे, लेकि शिनाख्त सिर्फ चार की ही हुई है, इसलिए सिर्फ चार लोगों को ही गिरफ्तार किया गया है.
वहीं पुलिस ने ये भी दावा किया है कि मौके से बीफ भी बरामद हुआ है. पूरे इलाके में तनाव को देखते हुए 400 से ज्यादा पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं. लेकिन ये बात अपनी जगह पर कायम है कि क्या भीड़ इस तरह से किसी मामले का फैसला कर सकती है. ये पहली बार नहीं है, जब भीड़ ने किसी को गोकशी के शक में मार डाला है. नोएडा में तो भीड़ ने अखलाक को उसके घर में घुसकर मार डाला था. पहलू खान को भी भीड़ ने इतना मारा था कि उसकी मौत हो गई. इस लिस्ट में सैकड़ों नाम शामिल किए जा सकते हैं, जिनके गुनाहों का फैसला पुलिस या कानून नहीं खुद लोगों ने किया है. और इस प्रवृत्ति को लगातार शह मिलती जा रही है. किसी भी मामले में पुलिस की तरफ से कोई इतनी सख्त कार्रवाई नहीं की गई कि वो लोगों के लिए नजीर बन सके और लोग कानून हाथ में लेने से पहले 100 बार सोचें.
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