देश में तीन तलाक विधेयक के खिलाफ पूरे देश में बुरखा पहने महिलाओं की एक श्रृंखला द्वारा प्रदर्शन आयोजित किए जाने के बाद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड ने इमारत शरिया के साथ मिलकर एक बड़ी कार्य योजना तैयार की है।
आजादी के बाद शायद पहली बार भारत में ऐसा होने जा रहा है जब ‘खतरे में इस्लाम’ नारे के तहत मुसलमानों द्वारा रैली निकाली जाने की बात कही गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पटना के फुलवारीशरीफ स्थित इमारत शरिया और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड ने एक साथ मिलकर ‘दीन बचाओ, देश बचाओ’ रैली का आयोजन किया है। यह रैली रविवार यानि 15 जनवरी को पटना के गांधी मैदान में आयोजित की गई है। कई वरिष्ठ मौलानाओं और समुदाय के नेताओं को उम्मीद है कि वे अपनी उन भावनाओं को व्यक्त कर पाएंगे जो कि वे समझते हैं कि बीजेपी सरकार के नेतृत्व में मुसलमानों का घर्म और देश दोनों ही सुरक्षित नहीं हैं।
देश में तीन तलाक विधेयक के खिलाफ पूरे देश में बुरखा पहने महिलाओं की एक श्रृंखला द्वारा प्रदर्शन आयोजित किए जाने के बाद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड ने इमारत शरिया के साथ मिलकर एक बड़ी कार्य योजना तैयार की है। इस योजना के तहत देश की कानून-व्यवस्था के मुद्दे और इसके लिए इस्लाम पर खतरे को लेकर गंभीरता दिखाई गई है। शरिया की स्थापना साल 1921 में हुई थी ताकि बिहार, झारखंड और ओडिशा में शरिया से जुड़े मुद्दों को लेकर मुसलमानों को गाइड किया जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले पर बात करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना वाली रहमानी ने कहा, “हम चार साल तक इंतजार कर रहे थे, उम्मीद कर रहे थे कि बीजेपी सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करते हुए देश को चलाना सीख जाएगी। हमारे पर्सलन लॉ जो कि हमारी मुस्लिम आस्था का हिस्सा है वह खतरे में है। हम देशवासियों को यह बताने के लिए मजबूर हैं कि देश के साथ-साथ मुस्लिम धर्म भी खतरे में है।”
इसके साथ ही मौलाना ने बताया कि ‘दीन बचाओ, देश बचाओ’ लोगों को जागरुक करने के लिए खासतौर पर मुसलमानों को। उन्होंने कहा, “हम केवल यह संदेश देना चाहते हैं कि अगर आप अभी नहीं जगे तो बाद में इसपर कुछ करने के लिए अवसर नहीं मिलेगा। आरएसएस के एजेंडा में कई मुद्दे हैं जिन्हें सरकार लागू करना चाहती है। तीन तलाक के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड और लाउडस्पीकर द्वारा अजान पर बैन जैसे कई मुद्दे उनके पास हैं।”
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