Wednesday 11 April 2018

साईं भक्तों के निशाने पर आए राहुल गांधी, एक ट्वीट पड़ गया भारी, माफी की मांग

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब साईं भक्तों के निशाने पर आ गए हैं. आज सुबह राहुल गांधी ने भाजपा पर तंज कसते हुए एक ट्वीट किया, जिससे वे मुश्किल में पड़ सकते हैं. इस राजनीतिक बयानबाजी में उन्होंने शिरडी के साईं बाबा के चमत्कारों का जिक्र कर दिया. मौका भांपते हुए बीजेपी भी इस मामले में राहुल को घेरने की कोशिश कर रही है.

इस ट्वीट पर मचा हंगामा

दरअसल, आज सुबह राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया, जिसमें केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की पत्नी की कंपनी के एक लाख रुपये 10 साल में 30 करोड़ हो जाने की बात कही गई थी. राहुल ने इसी खबर का एक लिंक अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर करने के दौरान भाजपा पर तंज करने के इरादे से एक लाइन लिख दी. राहुल ने लिखा कि- मित्रो... ‘शिरडी के चमत्कारों’ की तो कोई ‘सीमा’ ही नहीं है.

राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग

राजनीतिक बयानबाजी में शिरडी के साईं बाबा का नाम लेना साईं भक्तों को नागवार गुजर गया. श्रीसाईं बाबा संस्थान ट्रस्ट, शिरडी के चेयरमैन डॉ. सुरेश हवारे ने ट्वीट कर राहुल गांधी से मांफी मांगने को कहा है. हवारे ने ट्वीट कर कहा कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच शिरडी को खींचना बहुत दर्दनाक है. इससे देश-विदेश में रह रहे साईं भक्तों को बहुत ठेस पहुंची है. डॉ. सुरेश ने कहा कि साईं भक्तों की ओर से हम इसकी निंदा करते हैं. इस अपमान के लिए राहुल गांधी को साईं भक्तों से माफी मांगनी चाहिए.

भाजपा भी राहुल को घेरने की तैयारी में

इधर भाजपा भी इस मामले में राहुल गांधी को घेरने की कोशिश कर रही है. राहुल गांधी के ट्वीट पर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि देश की तरक्की कुछ लोगों को हजम नहीं हो रही है. ये लोग देश के विकास पर पलीता लगा रहे हैं. आज कांग्रेस बेहद गंदी राजनीति कर रही है.

नकवी बोले- ये घोटालों के गुरुघंटाल

नकवी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कभी समाज में बिखराव-टकराव कराने की कोशिश की जा रही है तो कभी संसद न चलने देने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि घोटाले वालों को हमेशा घोटाला ही नजर आता है. जो घोटालों के गुरुघंटाल हों, उन्हें अपने घोटालों पर ध्यान देना चाहिए. ये सरकार साफ-सुथरी चल रही है. नकवी ने कहा कि यह पहला मौका है जब इस बेदर्दी और बेशर्मी के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

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