सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मृतक की गरिमा पर चिंतन होना चाहिए। मीडिया रिपोर्टिंग नाम, पहचान और उन्हें शर्मिंदा किए बगैर होनी।
- दिल्ली हाईकोर्ट ने कठुआ दुष्कर्म-हत्या मामले में बच्ची की पहचान उजागर करने पर 12 मीडिया संस्थानों को 10 लाख मुआवजा देने का निर्देश दिया था
- सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट के सामने यह मुद्दा उठाया था। इस मामले में 8 मई को सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई करेगा।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म पीड़िता का नाम और पहचान उजागर नहीं की जा सकती है। चाहे उसकी मौत ही क्यों न हो गई हो, क्योंकि मृतक की भी अपनी गरिमा है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई आठ साल की बच्ची और अन्य दुष्कर्म पीड़िताआें की पहचान उजागर करने के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही।
मीडिया रिपोर्टिंग नाम, पहचान और उन्हें शर्मिंदा किए बगैर होनी चाहिए
- दुष्कर्म मामलों की रिपोर्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "मृतक की गरिमा पर चिंतन होना चाहिए। मीडिया रिपोर्टिंग नाम, पहचान और उन्हें शर्मिंदा किए बगैर होनी चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़िता जीवित है और किशोरवय है या मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो भी उसकी पहचान उजागर नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि उसे भी निजता का हक है।
12 मीडिया संगठनों पर 10 लाख रुपए बतौर मुआवजे देने लग चुका है जुर्माना
- यह मामला कठुआ दुष्कर्म पीड़िता बच्ची की पहचान उजागर करने पर 12 मीडिया संगठनों पर दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से 10 लाख रुपए बतौर मुआवजा देने का निर्देश दिए जाने के बाद चर्चा में है।
मामले में आगे क्या?
- सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट के सामने यह मुद्दा उठाया था। इस मामले में 8 मई को सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई करेगा।
कठुआ केस में सीबीआई जांच की मांग की याचिका दायर
- कठुआ दुष्कर्म-हत्या मामले में गिरफ्तार एसआई आनंद दत्ता और एसपीओ दीपक खजुरिया ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर मामले की सीबीआई जांच की अपील की है। उन्होंने क्राइम ब्रांच की जांच रद्द करने की मांग की है।
- याचिका में कहा गया है कि क्राइम ब्रांच में एक ऐसा पुलिस अधिकारी शामिल है, जिस पर कुछ साल पहले दुष्कर्म और हत्या के आरोप में तीन साल तक फरार रहने का आरोप था।
वकील ने फैलाया झूठ, पुलिस जाएगी कोर्ट
- कठुआ मामले में क्राइम ब्रांच बचाव पक्ष के वकील के खिलाफ कोर्ट में अपील दायर करेगा। पुलिस का आरोप है कि वकील ने घटना को लेकर भ्रमित करने वाली झूठी बातें प्रचारित कीं।
सुप्रीम काेर्ट में दाखिल किया हलफनामा
केंद्र ने कहा- मौत की सजा के लिए फांसी ही बेहतर विकल्प
- मौत की सजा देने के लिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष फांसी को ही सबसे बेहतर और कम दर्दनाक तरीका बताया।
- सरकार ने कहा कि जहरीला इंजेक्शन लगाने या गोली मारने जैसे अन्य उपाय तुलनात्मक रूप से अमानवीय और दर्दनाक हैं। मौत की सजा देने के तरीकों में बदलाव की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह जवाब दायर किया।
- कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या माैत की सजा देने के लिए फांसी के अलावा कोई और विकल्प भी हो सकता है, जिससे कैदी की मौत दर्द के बजाय शांति से हो।
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