Monday 30 April 2018

9 साल तक सेक्स नहीं किया तो बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द कर दी शादी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि शादी में एक महत्वपूर्ण बात है कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने. यह नहीं होने पर शादी के मायने खत्म हो जाते हैं. अगर शादी के बाद केवल एक बार संबंध बनाए गए हैं तब भी शादी को रद्द किया जा सकता है.


मुंबईः शादी के बाद पति-पत्नी के बीच सेक्स (शारीरिक संबंध) को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. अदालत ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक जोड़े की नौ साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद शादी को रद्द कर दिया. क्योंकि दोनों ने इन सालों के दौरान शारीरिक संबंध नहीं बनाए.

महिला का आरोप था कि एक शख्स ने कागजों पर गलत तरीके से हस्ताक्षर करवा कर शादी कर ली. जिसके बाद वह शादी को रद्द करना चाहती थी लेकिन उसका पति विरोध कर रहा था. यह मामला कोर्ट पहुंचा. जिसपर बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस मृदुला भाटकर ने कहा कि उन्हें महिला के साथ धोखा देने के कोई भी दस्तावेज नहीं मिले हैं. लेकिन पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध बनाए जाने के कोई सबूत नहीं मिले हैं इसलिए वह शादी को खारिज कर रही हैं.

यह मामला 2009 का है, जब 24 वर्षीय शख्स ने 21 वर्षीय लड़की से शादी की. महिला के दावों के मुताबिक, उससे खाली पन्नों पर दस्तखत करवाए गए और उसने रजिस्ट्रार के सामने शादी की. महिला के मुताबिक उसे यह पता नहीं चला की उससे शादी के दस्तावेजों पर दस्तखत करवाए गए हैं.

जब गड़बड़ी का पता चला तो महिला ने शादी रद्द करने की मांग की. ट्रायल कोर्ट ने उसके पक्ष में फैसला देते हुए शादी रद्द कर दी. लेकिन इसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील की. अब हाईकोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला देते हुए शादी रद्द कर दी है लेकिन आधार फर्जीवाड़े का नहीं है.

कोर्ट ने क्या कुछ कहा?
हाईकोर्ट ने महिला के दावों को खारिज करते हुए सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि एक ग्रेजुएट महिला से शादी के दस्तावेज पर गलत तरीके से हस्ताक्षर कैसे कराए जा सकते हैं. इसपर विश्वास कर पाना मुश्किल है.

जस्टिस मृदुला भाटकर ने कहा, ‘‘शादी में एक महत्वपूर्ण बात है कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने. यह नहीं होने पर शादी के मायने खत्म हो जाते हैं. अगर शादी के बाद केवल एक बार संबंध बनाए गए हैं तब भी शादी को रद्द किया जा सकता है.‘‘

जस्टिस भाटकर ने कहा, ‘‘इस मामले में पति-पत्नी एक दिन भी साथ नहीं रहे हैं और पति शारीरिक संबंध बनाने के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं कर पाया है. इस आधार पर महिला को इस शादी को खत्म करने की इजाजत दी जाती है.‘‘

हालांकि पति का दावा था कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने और उसकी पत्नी प्रेग्नेंट हुई थी. लेकिन कोर्ट ने इसपर कहा कि प्रेग्नेंसी के कोई सबूत गायनाकोलॉजिस्ट की रिपोर्ट में नहीं पाये गए. कोर्ट ने कहा कि हमने दोनों को सुलह के भी सुझाव दिये लेकिन असफल रहे.

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