मध्यप्रदेश: प्रदेश में दलित वोट बैंक को लुभाने के लिए बीजेपी ने नई रूपरेखा तैयार की है। बीजेपी ने रिटायर्ड अफसरों पर दांव लगाने का प्लान बनाया हैं। हाल ही में कमलनाथ के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अब बीजेपी की नजर एक-एक वोट पर है। दलित हिंसा के बाद बीजेपी जमीनी स्तर पर दलितों में पैठ बनाने के लिए बस्ती प्रमुख तैयार कर रही है, जिसमें सबसे बड़ी बात ये है कि बस्ती प्रमुख की जिम्मेदारी किसी राजनीतिक व्यक्ति को ना देकर बल्कि रिटायर्ड अफसरों को दी जा रही है।
ज्ञात रहें कि यूपी में आरएसएस के बस्ती प्रमुख एजेंडे पर बीजेपी ने काम किया था। वहां इस एजेंडे पर काम करने पर सफलता भी मिली थी। अब यही फॉर्मूला एमपी में भी लागू किया गया है। पन्ना प्रमुख के बाद बस्ती प्रमुख का नया पद बनाकर दलित वोट बैंक में पैठ बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
प्रदेश के 51 जिलों में दलित कमजोर बस्तियों में सामाजिक न्याय, आर्थिक सुरक्षा और अधिकारिता सुनिश्चित करने के लिए बस्ती प्रमुखों का मनोनयन किया जा रहा है। बस्ती प्रमुखों का राज्य स्तर में सम्मेलन आयोजित करने के पहले जिलों में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जायेगी। बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि रिटायर्ड अफसर सत्ता में लंबे समय तक रहे हैं, इसलिए उन्हें बस्ती प्रमुख की जिम्मेदारी देकर सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी।
फिलहाल सबसे पहले बस्ती प्रमुख की जिम्मेदारी रिटायर्ड अधिकारियों को दी जा रही है। इसके बाद यदि रिटायर्ड अधिकारी की संख्या कम रही तो बस्ती प्रमुख का जिम्मा बुद्धिजीवी वर्ग, वकील, डॉक्टर, प्राध्यापक, इंजीनियर समेत समाजसेवियों को दिया जाएगा।
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