बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आज यूपी के दौरे पर लखनऊ पहुंच रहे हैं. विपक्षी दल सपा-बसपा एकजुट होकर सूबे में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं. जबकि सत्ताधारी बीजेपी को अंदर और बाहर दोनों ओर से घेरा जा रहा है. जहां, बाहर से विपक्ष घेरने की कवायद कर रहा है तो वहीं पार्टी के अपने ही सांसदों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करके मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. सूबे में पार्टी और सरकार को इन चुनौतियों से बाहर निकलकर नई दिशा दिखाने का जिम्मा बीजेपी आलाकमान अमित शाह के ऊपर है. ऐसे में शाह आज अपने लखनऊ दौरे के दौरान चुनौतियों का हल ढूंढने की कोशिश करेंगे.
1. दलितों की बढ़ती नाराजगी
उत्तर प्रदेश में 21 फीसदी आबादी वाले दलित समुदाय में सरकार को लेकर नाराजगी बीजेपी के लिए महंगी पड़ सकती है. दलित संगठनों द्वारा एससी?एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर 2 अप्रैल को ‘भारत बंद‘ में जिस तरह दलित समुदाय के लोगों द्वारा गुस्सा नजर आया है. दलित मुद्दे को लेकर बीजेपी के 4 दलित सांसदों ने सीएम योगी आदित्यनाथ के रवैए के खिलाफ पीएम मोदी को पत्र लिखकर अपने गुस्से का इजहार किया. दलितों की नाराजगी बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में दलितों ने बड़ी तादाद में बीजेपी को वोट किया था. ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दलितों की नाराजगी को दूर करने की काट तलाश करेंगे.
2. सपा-बसपा का गठबंधन
2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को मात देने के लिए सपा-बसपा ने साथ मिलकर चलने का ऐलान कर दिया है. हाल ही में गोरखपुर और फुलपुर उपचुनाव में सपा-बसपा गठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी. दोनों पार्टियों के साथ आने बीजेपी के लिए 2019 में बड़ी चुनौती बन सकती है. शाह इस चुनौती से निपटने के लिए भी मंथन करेंगे. बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सत्ता में आने के पीछे यूपी की अहम भूमिका रही है. बीजेपी गठबंधन ने उस समय 73 सीटें जीतीं थीं. 2017 के विधानसभा चुनाव में 325 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई. सपा-बसपा गठबंधन के सामने ऐसी जीत दोहराना बड़ी चुनौती हो सकती है. सपा-बसपा की काट तलाशना शाह के लिए बड़ी चुनौती है.
3. योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल
सूबे की योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा है. योगी कैबिनेट से कुछ मंत्रियों के पत्ते कट सकते हैं और कुछ चेहरे शामिल किए जा सकते हैं. अमित शाह के यूपी दौरे से कुछ मंत्रियों की धड़कनें तेज हो गई हैं. प्रदेश के बदले सियासी माहौल में माना जा रहा है कि दलित और ओबीसी समुदाय के कुछ चेहरों को मंत्री बनाया जा सकता है. माना जा रहा है कि अपना दल के कोटे से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति आशीष सिंह पटेल को एमएलसी बनाकर मंत्रिमंडल में शामिल कराने कि जाने की भी चर्चा है.
4. सहयोगी दलों की साधने की चुनौती
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी सहयोगी दल हैं. शाह के मुलाकात से पहले अपना दल से विधायक हरिराम चेरो ने मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने सीएम को अनुभवहीन बताते हुए कहा कि सीएम को जैसा करना चाहिए वो नहीं कर पा रहे हैं. सूबे की हालत को ठीक नहीं कर पा रहे हैं. विधायक यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा- ये पांच साल सीखने में ही बिता देंगे. प्रदेश के सीएम को जितना तेज तर्रार होना चाहिये वो नहीं हैं. इसीलिए अधिकारी मनमानी करने में जुटे हैं. सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर नाराज चल रहे हैं. योगी सरकार के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अमित शाह से मुलाकात के बाद ही बीजेपी उम्मीदवार को वोट किया था. ऐसे में विपक्ष जहां एकजुट हो रहा है वहीं बीजेपी के सहयोगियों की नाराजगी पार्टी के लिए चिंता का सबब है.
5. एमएलसी उम्मीदवारों पर मंथन
उत्तर प्रदेश की 13 विधान परिषद सीटों के लिए चुनाव का ऐलान हो चुका है. नामांकन का दौर शुरू हो गया है. जबकि बीजेपी ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. मौजूदा विधायकों की संख्या को देखते हुए 11 सीटों पर बीजेपी की जीत तय है. हालांकि, प्रदेश के नेतृत्व ने एमएलसी के लिए नाम प्रस्तावित किए हैं. 2019 के चुनाव के मद्देनजर बीजेपी अध्यक्ष की कोशिश होगी कि दलित-पिछड़ों के साथ सभी वर्गों का समन्वय हो. लेकिन पिछले दिनों विपक्ष की ओर से कुछ एमएलसी ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थामा था. वो दोबारा से एमएलसी बनने की दावेदारी करने में जुटे हैं. ऐसे में बीजेपी आलाकमान के लिए संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है.
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.