क्या है वो बयान?
कुशीनगर हादसे के बाद रेलवे का कहना है कि, ये हादसा ड्राइवर की लापरवाही के वजह से हुआ है. क्रॉसिंग पर गेट मित्र मौजूद था, जिसने ड्राइवर को इशारा भी किया, लेकिन ड्राइवर के द्वारा इशारा नहीं देखा गया. वहीं, ये भी कहा जा रहा है कि ड्राइवर ने ईयरफोन लगाया था, जिस वजह से उसे ट्रेन की आवाज नहीं सुनाई थी.
भदोही हादसे में भी ऐसा ही था बयान
जुलाई 2016 में उत्तर प्रदेश के भदोही में भी कुशीनगर जैसा हादसा हुआ था. उस वक्त मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग में तेज रफ्तार ट्रेन से स्कूली वैन टकरा गई थी, जिसमें 8 बच्चों की मौत हो गई थी. इसके बाद तब के रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ट्वीट कर हा था कि, गेट मित्र ने ड्राइवर को रोकने की कोशिश की लेकिन ड्राइवर ने उसकी चेतावनी को अनसुना किया, जिस वजह से ये हादसा हुआ है.
एक जैसे हादसे-एक जैसी थ्योरी
इन दोनों हादसों (कुशीनगर और भदोही) में काफी समानताएं हैं. जैसे दोनों ही मामलों में स्कूल वैन ट्रेन की चपेट में आई है. इतना ही नहीं शुरुआती जांच में भी दोनों ही मामलों में एक ही जैसी थ्योरी को सामने रखा गया रहा है. जिसके मुताबिक, मानव रहित फाटक पर गेट मित्र मौजूद था. साथ ही ड्राइवर ने ईयरफोन लगाया था, जिस वजह से वो ट्रेन की आवाज नहीं सुन सका.
बदल गए दो मंत्री, लेकिन नहीं बदले बयान
इन दो हादसों के बीच दो रेल मंत्री भी बदल चुके हैं. जहां भदोही हादसे के दौरान रेल मंत्री सुरेश प्रभु थे. वहीं, कुशीनगर हादसे के दौरान रेल मंत्री पीयूष गोयल हैं. लेकिन इन दो सालों में रेलवे के बयान एक जैसे ही हैं.
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