Monday 9 July 2018

मुन्ना बजरंगी का 34 साल पुराना आतंक, चंद सेकंड्स में खत्म | Kosar Express

फाइल फोटो: मुन्ना बजरंगी
मेरठ। 34 साल में कई हजार गोलियां बरसाकर 40 से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले मुन्ना बजरंगी की सांसें सिर्फ छह गोलियों से 52 सेकंड में ही थम गईं। बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी को 10 गोलियां मारी गईं। सिर को टारगेट करके मारी गईं छह गोलियां उसके शरीर में लगी। जिस सुनील राठी को हत्या का आरोपी माना जा रहा है, उसकी बैरक के बगल तन्हाई बैरक में ही मुन्ना को रात में ठहराया गया था।

जेल सूत्रों के मुताबिक मुन्ना बजरंगी जेल में देर रात तक नहीं सो पाया था। वह लगातार बैरक के गेट की तरफ की देखता रहा था। बताते हैं रात में ड्यूटी पर तैनात एक सुरक्षाकर्मी से मुन्ना ने बात की और खुद पर हमले की आशंका जताई लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया गया। मुन्ना ने सुरक्षाकर्मी से यह भी कहा था कि अगर उसे नींद आ जाए तो सुबह बाकी बंदियों के उठने से पहले ही जगा दें। जेल सूत्रों पर यकीन करें तो पांच बजकर 37 मिनट पर मुन्ना जागा, उसके बाद पांच बजकर 50 मिनट पर मुन्ना ने चाय पी। 6 बजकर 7 मिनट पर जिस वक्त उस पर हमला हुआ, उस वक्त मुन्ना सफेद रंग के बनियान और शार्ट्स पहनकर नहाने के लिए बैरक से निकला था। इसी दौरान बंदी उससे उलझ गया और ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं।

सिर को बनाया निशाना, 52 सेकंड में निकली जान
पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, 10 गोलियां चलाई गईं, जिसमें से छह गोलियां मुन्ना को लगीं। हमलावरों ने पूरी तरह सिर को टारगेट रखा गया। सिर के पीछे का हिस्सा पूरी तरह छलनी हो गया है। गोली लगने के बाद गिरे बजरंगी की जान जाने में सिर्फ 52 सेकंड लगे। जेल अधीक्षक ने 6 बजकर 17 मिनट पर इसकी जानकारी एसएसपी और डीएम बागपत को दी। जेल अफसरों के मुताबिक, हमलावर बंदी ने अपना हथियार गटर में फेंक दिया। पुलिस ने हथियार बरामद करने के लिए सर्च ऑपरेशन भी चलाया हुआ है। वैसे पुलिस का मानना है कि सभी गोलियां एक हथियार से नहीं चलीं, हथियार कम से कम दो थे। रिवॉल्वर या पिस्टल का इस्तेमाल हुआ है। दस गोली किसी एक रिवॉल्वर या पिस्टल में एक साथ नहीं आती हैं।

बड़ा सवाल यह है कि हाई सिक्यॉरिटी इलाके में बाहर से रिवॉल्वर कैसे पहुंचा? जेल में लगातार बैरकों की चेकिंग का दावा करने वाले जेल प्रशासन को रिवॉल्वर क्यों नहीं मिला? पुलिस का मानना है कि रिवॉल्वर को जेल के अंदर पहुंचाने और उसको छिपाकर रखना किसी जेल कर्मचारी की मदद के बिना मुमकिन नहीं है। पुलिस जेल के भेदियों का भी पता लगाने जा रही है। पुलिस सुनील राठी से रविवार को मिलने करनेवालों पर भी नजर रख रही है। पुलिस का मानना है कि ऐसा न हो कि मिलाई के दौरान ही किसी जेल कर्मचारी के मदद से रविवार को ही हथियार पहुंचे हों। शासन ने जेलर उदय प्रताप सिंह, डेप्युटी जेलर शिवाजी यादव, हेड वॉर्डन अरजिंदर सिंह और वॉर्डन माधव कुमार को सस्पेंड कर दिया है।

पुलिस अफसरों ने मुन्ना की हत्या के बारे में सुनील राठी से पूछताछ भी की है। सुनील राठी के कई बार जेल में कुछ लोगों की खुली मुलाकत यानी सार्वजनिक तौर पर मिलने की बात सामने आ रही है। एडीजी जेल चंद्रप्रकाश का कहना है कि जेल में रिवॉल्वर जाना बेहत गंभीर है और सुरक्षा में चूक है। जांच गंभीरता से होगी।

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