Saturday 19 May 2018

कर्नाटक : बीएस येदियुरप्पा के लिए तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी बेवफा साबित हुई | Kosar Express

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है.

नई दिल्ली: येदियुरप्पा के लिए तीसरी बार भी कर्नाटक में मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा करना नसीब नहीं हुआ. उन्होंने  तीसरी बार सीएम का पद छोड़ दिया. इस बार उनका कार्यकाल सिर्फ ढाई दिन का रहा. इससे पहले के उनके दो कार्यकालों की कुल अवधि तीन साल 71 दिन रही थी. वे कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.

येदियुरप्पा पहली बार 12 नवंबर, 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे. सीएम बनने के बाद आठवें ही दिन 19 नवंबर, 2007 को उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. गठबंधन सरकार में हुए समझौते के अनुसार मुख्यमंत्री पद पर दोनों दलों के नेताओं को बराबर-बराबर वक्त तक सीम पद पर रहना था. समझौते के तहत येदियुरप्पा ने जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को फरवरी, 2006 में मुख्यमंत्री बनवा दिया था, लेकिन जब अक्टूबर, 2007 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने का वक्त आया, तो कुमारस्वामी समझौते से मुकर गए. येदियुरप्पा के दल ने समर्थन वापस ले लिया, और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.

नवंबर, 2007 में राष्ट्रपति शासन खत्म हुआ, जब कुमारस्वामी ने समझौते का सम्मान करने का वचन दिया, और 12 नवंबर, 2007 को येदियुरप्पा पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हुए, लेकिन कुछ ही दिन बाद मंत्रालयों में बंटवारे को लेकर मतभेदों के चलते येदियुरप्पा को 19 नवंबर, 2007 को ही इस्तीफा देना पड़ा.

इसके बाद वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में BJP को शानदार जीत मिली, और येदियुरप्पा 30 मई, 2008 को दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए. इस कार्यकाल के दौरान उन पर राज्य के लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के मामलों में उनका नाम लिया, और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के ज़ोरदार दबाव की वजह से उन्होंने 31 जुलाई, 2011 को पद से इस्तीफा दे दिया.

बीएस येदियुरप्पा ने गुरुवार को तीसरी बार कर्नाटक के 25 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. विधानसभा चुनाव में 104 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी और कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार को पराजय का सामना करना पड़ा. लेकिन कांग्रेस ने 78 सीटें जीतकर 38 सीटें हासिल करने वाले जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) से बिना शर्त के गठबंधन कर लिया और उसे समर्थन देने की घोषणा कर दी. 

इसके बाद राज्यपाल वजूभाई वाला ने सरकार बनाने का न्योता सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को दिया. राज्यपाल ने उन्हें विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया. इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई और आधी रात में सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. मामले में रात भर बहस चली और तीन जजों की बेंच ने शपथग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. शुक्रवार की सुबह अगली सुनवाई तय की गई. 

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शनिवार को शाम 4 बजे कर्नाटक विधानसभा में सीएम येदियुरप्पा को बहुमत साबित करना होगा. सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने सोमवार तक का समय मांगा था लेकिन कोर्ट ने कहा कि शनिवार को ही फ्लोर टेस्ट होगा. 

इसके बाद फ्लोर टेस्ट के लिए बीजेपी के केजी बोपैया को अस्थायी विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया गया जिस पर कांग्रेस ने आपत्ति ली. बोपैया तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं जबकि परंपरागत रूप से अस्थाई अध्यक्ष सदन का सबसे लंबे समय से सदस्य रहने वाला व्यक्ति होता है. इस मुद्दे पर कांग्रेस ने फिर न्यायालय का रुख किया. शनिवार को सुबह इस मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने साफ कर दिया कि केजी बोपैया प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे और उन्हीं की निगरानी में बहुमत परीक्षण यानी फ्लोर टेस्ट होगा.

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