झाबुआ। (रहीम शेरानी) अक्सर कहा जाता है देश का भविष्य युवा है मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले की अनेक शासकीय व निजी संस्थाओं पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस पर संगोष्ठी व अन्य कार्यक्रम किए जाते हैं जिसमें संस्थाओं के बड़े-बड़े वक्ताओं के द्वारा नशे की लत (आदत ) को शिक्षा की कमी से जोड़ा जाता है। साथ ही राजस्थानी गीत पर नशे के परिणाम बताए जाते हैं।और कहा जाता है कि भीख नहीं मांगी हो तो बीड़ी पीना सीख लो नशे की ( लत ) परिवार की दशा व शरीर को खराब करती है इसके जिम्मेदार कुछ नशेड़ी शिक्षकों की वजह से पढ़ी लिखी युवा पीढ़ी नशा कर रही है। पाउच संस्कृति आज सारे जगत पर भारी है जिससे बच्चे बूढ़े एवं जवान कोई बच नहीं पाया है फिर पाउच की शुरुआत स्कूल जगत में कभी जहां फूलों की क्यारियां ओर गमले थे आज वहां पाउच की पर्चियां पाई जाती है। कभी रंग बिरंगे फूल खिला करते थे आज वही पर पिक की पिचकारियां लगी है। जनचर्चा है की झाबुआ जिले के मेघनगर के अधिकांश युवा नशे की गिरफ्त में है यह युवा बीड़ी सिगरेट से लेकर अफीम गांजा ब्राउन शुगर, के पाउडर का भी नशा कर रहे हैं ! रात के अंधेरे में सुनसान जगहा ओ पर टोलियां बनाकर बैठ कर नशा कर रहे हैं। नशा ही अपराध का जनक है माता-पिता को युवाओं पर ध्यान देना चाहिए।
झाबुआ। (रहीम शेरानी) अक्सर कहा जाता है देश का भविष्य युवा है मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले की अनेक शासकीय व निजी संस्थाओं पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस पर संगोष्ठी व अन्य कार्यक्रम किए जाते हैं जिसमें संस्थाओं के बड़े-बड़े वक्ताओं के द्वारा नशे की लत (आदत ) को शिक्षा की कमी से जोड़ा जाता है। साथ ही राजस्थानी गीत पर नशे के परिणाम बताए जाते हैं।और कहा जाता है कि भीख नहीं मांगी हो तो बीड़ी पीना सीख लो नशे की ( लत ) परिवार की दशा व शरीर को खराब करती है इसके जिम्मेदार कुछ नशेड़ी शिक्षकों की वजह से पढ़ी लिखी युवा पीढ़ी नशा कर रही है। पाउच संस्कृति आज सारे जगत पर भारी है जिससे बच्चे बूढ़े एवं जवान कोई बच नहीं पाया है फिर पाउच की शुरुआत स्कूल जगत में कभी जहां फूलों की क्यारियां ओर गमले थे आज वहां पाउच की पर्चियां पाई जाती है। कभी रंग बिरंगे फूल खिला करते थे आज वही पर पिक की पिचकारियां लगी है। जनचर्चा है की झाबुआ जिले के मेघनगर के अधिकांश युवा नशे की गिरफ्त में है यह युवा बीड़ी सिगरेट से लेकर अफीम गांजा ब्राउन शुगर, के पाउडर का भी नशा कर रहे हैं ! रात के अंधेरे में सुनसान जगहा ओ पर टोलियां बनाकर बैठ कर नशा कर रहे हैं। नशा ही अपराध का जनक है माता-पिता को युवाओं पर ध्यान देना चाहिए।
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