देर रात ओजस्वी, वीररस से भरपूर कविताओं व हास्य व्यंग के बाणों ने श्रोताओं को बांधे रखा
सुहावने मौसम में कवियों ने की काव्य की बारिश |
देवास। बारिश के सुहावने मौसम में जब कवियों ने अपनी कविताएं पढ़ना शुरू की और काव्य रस के साथ हास्य व्यंग्य के बाणों की बौछार की तो देर रात तक श्रोतागण कवियों के काव्य रस को मंत्र मुग्ध होकर सुनते रहे। मौका था पर्यटन पर्व 2018 के तहत देवास के आईटीआई परिसर में आयोजित हुए अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का। कवि सम्मेलन में देश के ख्यात नाम कवियों ने भाग लिया। इसमें इंदौर के प्रख्यात शायर राहत इंदौरी, इंदौर के ही गीतकार अमन अक्षर, दिल्ली की श्रृंगार रस की कवियत्री पद्यमिनी शर्मा, उदयपुर के अजातशत्रु, लखनऊ उत्तर प्रदेश के वीररस के कवि प्रख्यात मिश्रा, चित्तौड़ के गीतकार रमेश शर्मा, सांची के हास्य कवि लक्ष्मण नेपाली तथा स्थानीय देवास के लोकप्रिय कवि शशिकांत यादव ने अपनी काव्य की गंगा बहाई।
कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि व प्रदेश के तकनीकी शिक्षा कौशल, श्रम विकास (स्वतंत्र प्रभार) एवं स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री श्री दीपक जोशी व कलेक्टर डॉ. श्रीकान्त पाण्डेय पूरे समय मौजूद रहे। कवि सम्मेलन की शुरूआत उत्तर प्रदेश लखनऊ के ख्यात कवि श्री प्रख्यात मिश्रा ने अपनी ओजस्वी व वीररस प्रधान कविताओं से की। उनके द्वारा जब राष्ट्र भक्ति, सर्जिकल स्ट्राइक, भारत मां की सेवा करते हुए शहीद होने वाले बलिदानियों के ऊपर कविताएं पढ़ी गई तो पूरा वातावरण तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गुंजायमान हो गया। चित्तौड़गढ़ राजस्थान के गीतकार और कवि श्री रमेश शर्मा ने गीत परक कविताएं सुनाई उनकी कविता ‘चांद की बातें करते हो, धरती पर अपना घर ही नहीं। रोज बनाते ताज महल, संगमरमर क्या कंकर ही नहीं। सूखी नदियां, नाव लिए, तुम बहते हो यूं ही। क्या लिखते रहते यूं ही।‘ ने खूब दाद बटौरी तथा श्रोताओं से करतल ध्वनि के साथ सराहना मिली।
कवि सम्मेलन में गीतकार अमन अक्षर ने ‘तोड़कर कोई मानक नहीं आए हैं, अपने हिस्से कथानक नहीं आए हैं। जिदंगी ने मुसलसल पुकारा हमें, हम यहां तक अचानक नहीं आए हैं’ को सुनाया। उपस्थित श्रोताओं ने उनकी इस गीतमय कविता को काफी पसंद किया।
सांची के कवि लक्ष्मण नेपाली ने हास्य प्रधान कविताएं पढ़कर श्रोताओं को गुदगुदाया। उनकी कविता ‘जब-जब कागज पर लिखा ‘मां’ का नाम, कलम अदब से कह उठी, हो गए चारों धाम’। ने श्रोताओं के हृदय को छू लिया।
उदयपुर राजस्थान के कवि अजात शत्रु ने, ‘ये बच्चन की मधुशाला है। दिनकर का रस्मी रथ है, सूर, कबीरा, तुलसी, मीरा सब का ही यह तीरथ है। सरयु के तट पर अवधि के चौपाई मुस्काती है। ज्यों रूबाई उर्दू की बांहों में आकर ढल जाती है, को सुनाया’।
कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि व प्रदेश के तकनीकी शिक्षा कौशल, श्रम विकास (स्वतंत्र प्रभार) एवं स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री श्री दीपक जोशी व कलेक्टर डॉ. श्रीकान्त पाण्डेय पूरे समय मौजूद रहे। कवि सम्मेलन की शुरूआत उत्तर प्रदेश लखनऊ के ख्यात कवि श्री प्रख्यात मिश्रा ने अपनी ओजस्वी व वीररस प्रधान कविताओं से की। उनके द्वारा जब राष्ट्र भक्ति, सर्जिकल स्ट्राइक, भारत मां की सेवा करते हुए शहीद होने वाले बलिदानियों के ऊपर कविताएं पढ़ी गई तो पूरा वातावरण तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गुंजायमान हो गया। चित्तौड़गढ़ राजस्थान के गीतकार और कवि श्री रमेश शर्मा ने गीत परक कविताएं सुनाई उनकी कविता ‘चांद की बातें करते हो, धरती पर अपना घर ही नहीं। रोज बनाते ताज महल, संगमरमर क्या कंकर ही नहीं। सूखी नदियां, नाव लिए, तुम बहते हो यूं ही। क्या लिखते रहते यूं ही।‘ ने खूब दाद बटौरी तथा श्रोताओं से करतल ध्वनि के साथ सराहना मिली।
कवि सम्मेलन में गीतकार अमन अक्षर ने ‘तोड़कर कोई मानक नहीं आए हैं, अपने हिस्से कथानक नहीं आए हैं। जिदंगी ने मुसलसल पुकारा हमें, हम यहां तक अचानक नहीं आए हैं’ को सुनाया। उपस्थित श्रोताओं ने उनकी इस गीतमय कविता को काफी पसंद किया।
सांची के कवि लक्ष्मण नेपाली ने हास्य प्रधान कविताएं पढ़कर श्रोताओं को गुदगुदाया। उनकी कविता ‘जब-जब कागज पर लिखा ‘मां’ का नाम, कलम अदब से कह उठी, हो गए चारों धाम’। ने श्रोताओं के हृदय को छू लिया।
उदयपुर राजस्थान के कवि अजात शत्रु ने, ‘ये बच्चन की मधुशाला है। दिनकर का रस्मी रथ है, सूर, कबीरा, तुलसी, मीरा सब का ही यह तीरथ है। सरयु के तट पर अवधि के चौपाई मुस्काती है। ज्यों रूबाई उर्दू की बांहों में आकर ढल जाती है, को सुनाया’।
इंदौर के प्रख्यात शायर व कवि राहत इंदौरी ने अपनी शेर-ओ-शायरी से श्रोताओं को देररात तक बांधे रखा। श्रोताओं ने उनकी शायरी को खूब दाद दी तथा मंत्र मुग्ध होकर सुना। कवि सम्मेलन में स्थानीय देवास के लोकप्रिय कवि श्री शशिकांत यादव ने भी अपनी कविताओं को स्वर दिये। उन्होंने लोकतंत्र की मजबूती के लिए अपने अक्षरों से मतदाताओं को मतदान हेतु प्रेरित किया। ‘भारत के मतदाता का मतदान जरूरी है, लोकतंत्र का अंतर मन से सम्मान जरूरी है। लोकतंत्र की बगीया में श्रमदान जरूरी है। भारत के मतदाता का मतदान जरूरी है। कवि सम्मेलन का संचालन स्थानीय कवि शशिकांत यादव ने किया।
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