नई दिल्ली। यदि आप जूझने की क्षमता रखते हैं तो भ्रष्टाचार में डूबे पूरा सिस्टम को सबक सिखाया जा सकता है। बिहार की राजधानी पटना में सब्जी का ठेला लगाने वाले 14 साल के एक नाबालिग ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया। उसने अत्याचार सहन किए परंतु भ्रष्टाचार के आगे नहीं झुका और अंतत: सिटी एएसपी समेत 12 पुलिस कर्मचारी संस्पेंड किए गए एवं पूरा का पूरा थाना लाइन हाजिर कर दिया गया। यह घटना देश के लिए एक नजीर है। एक तरफ समाज का सबसे कमजोर बालक और दूसरी तरह समाज का सबसे शक्तिशाली वर्ग (पुलिस)। करीब 4 महीने का दर्दनाक संघर्ष लेकिन इतिहास बन गया।
मुफ्त में सब्जी नहीं देता था इसलिए रंजिश रखते थे पुलिस वाले
पटना के पत्रकार सीटू तिवारी की बीबीसी हिंदी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार सुरेश (बदला हुआ नाम) अपने पिता के साथ पटना के एक बाज़ार में सब्ज़ियां बेचता था और पुलिसवाले जब उसके पास मुफ़्त में सब्ज़ी लेने आते थे वो साफ़ इनकार कर देता था। पुलिसवालों को उसका ये इनकार बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने उसे झूठे मामले में फंसाकर जेल में डाल दिया। सुरेश के पिता ने बताया "मेरे बच्चे की ग़लती सिर्फ़ इतनी थी कि वो जिप्सी में आए पुलिसवालों को मुफ़्त की सब्ज़ी नहीं देता था। इसी बात से नाराज़ होकर पुलिसवाले उसे 'देख लेने' की धमकी देते थे।
लूट के झूठे आरोप में जेल भेज दिया
उनके मुताबिक, 19 मार्च की शाम साढ़े सात बजे जब बाप-बेटे सब्ज़ी बेचकर घर लौटे तो अगमकुआं थाने की पुलिस सुरेश को घर से उठा ले गई। परेशान पिता और घरवाले बेटे का हाल-चाल जानने के लिए थाने और आला अधिकारियों के यहां चक्कर लगाते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। 21 मार्च को उन्हें पता चला कि उनके बेटे को बाइक लूट के आरोप में जेल भेज दिया गया है।
पुलिस ने बहुत पीटा, परिवार कर्ज में डूब गया
पटना के एक किराये के मकान में रहने वाला ये परिवार 19 मार्च के बाद बेटे को जेल से बाहर निकालने की कोशिश में दो लाख के कर्जे में डूब गया है। सब्ज़ी बेच कर पेट पालने वाले इस परिवार में कोई पढ़ा-लिखा नहीं है। सिर्फ़ सुरेश की छोटी बहन का दाखिला एक सरकारी स्कूल में पहली कक्षा में कराया गया है। पिता कहते हैं कि उनकी सुरेश से आख़िरी मुलाकात कुछ दिन पहले ही हुई थी। वह कहते हैं कि उनका 14 साल साल का बच्चा दहशत में है। उसे पुलिस ने बहुत पीटा है। हो सकता है वो बाहर आ जाए, लेकिन पुलिस की दहशत और उनके दिए जख्म कैसे भरेंगे?
लोकल मीडिया ने उठाई आवाज
छानबीन के बाद पता चला कि आधार कार्ड में सुरेश की उम्र 14 साल है, लेकिन पुलिस ने उसे 18 साल का बताकर रिमांड होम भेजने के बजाय जेल में डाल दिया। स्थानीय मीडिया ने इस मामले को उठाया और बात सीएम नीतीश कुमार तक जा पहुंची।
सीएम नीतीश कुमार ने कराई जांच, पूरा थाना लाइन हाजिर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर जांच टीम का गठन किया गया और जांच के बाद 12 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। इतना ही नहीं, पूरे अगमकुआं थाना स्टाफ को लाइन हाज़िर कर दिया गया है और पटना ज़ोन के आईजी नैय्यर हसनैन ख़ान ने वहां नए पुलिसकर्मियों की तैनाती के आदेश दे दिए हैं। साथ ही पटना सिटी के पूर्व एएसपी हरिमोहन शुक्ला को निलंबित कर दिया है और उन पर विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा भी कर दी गई है।
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