Friday 4 May 2018

गरीब मरीज की मौत के बाद आई इलाज की स्वीकृति


BHOPAL। CM सीएम शिवराज सिंह चैहान जब मंच से भाषण देते हैं तो बड़ा अच्छा लगता है, प्रतीत होता है कि कल सुबह से ही सारा सिस्टम बदल जाएगा लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। शिवराज सिंह जितना अच्छा भाषण देते हैं, नौकरशाही पर उतना अच्छा नियंत्रण नहीं रख पाते। मामला मुख्यमंत्री सहायता कोष से गरीब मरीजों के इलाज का है। कैंसर के एक मरीज ने तत्काल इलाज के लिए 1.50 लाख रुपए की मांग की थी। सीएम का सिस्टम ​इतना लचर था कि जब तक सहायता राशि स्वीकृत होकर आई, मरीज की मौत हो चुकी थी। अब अस्पताल और मृत मरीज का बेटा आपस में लड़ रहे हैं। 

गोविंदपुरा स्थित विकास नगर निवासी ओम प्रकाश तिवारी को 17 फरवरी 2017 को सिद्धांता रेडक्रॉस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में उन्हें आंत का कैंसर बताकर सर्जरी में डेढ़ लाख रुपए खर्च की जानकारी परिजनों को दी गई। इस बीच अस्पताल से मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए एस्टीमेट बनाकर भेज दिया गया। तिवारी के बेटे हरिनारायण के मुताबिक 4 से 5 दिन भर्ती रहने के दौरान अस्पताल ने इलाज और विभिन्न जांचों का बिल 65 हजार थमा दिया।

हमारे पास मेडिक्लेम था, इसलिए 10ः नकद जमाकर बाकी भुगतान पॉलिसी से हो गया। हम पिता को जवाहर लाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल ले गए। यहां भी पिता की तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो 1 मार्च को उन्हें हमीदिया अस्पताल में भर्ती करा दिया, जहां उनकी इलाज के दौरान 17 मार्च को मृत्यु हो गई। करीब दो महीने बाद मई में सिद्धांता अस्पताल से फोन आया कि अपने पिता को इलाज के लिए ले आएं, सीएम सहायता कोष से 35 हजार और राज्य बीमारी सहायता कोष से 75 हजार रुपए मंजूरी हो गए हैं।

पिता की मौत हो चुकी है, यह बताने के बाद भी अस्पताल ने मुख्यमंत्री सहायता कोष से इलाज के लिए मिली राशि नहीं लौटाई। अब हरिनारायण तिवारी की शिकायत के बाद मामले की जांच डॉ. दिनेश कौशल, डॉ. सुधीर जैसानी और डॉ. परवेज खान द्वारा की जा रही है।

बेटे का आरोप: अस्पताल ने किया पैसों का दुरुपयोग, केस दर्ज हो
हरिनारायण तिवारी ने बताया कि कलेक्टोरेट से उन्हें फोन आया था कि सीएम कोष से मिली राशि से आपके पिताजी का इलाज हो चुका है। अब उनकी तबीयत कैसी है। तब पता चला कि अस्पताल प्रबंधन ने दोनों मद से मिले 1.10 लाख रुपए लौटाए ही नहीं हैं। हरिनारायण का कहना है कि सिद्धांता ने इन पैसों का दुरुपयोग किया है, इसलिए अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए। इस मामले की शिकायत सीएम कार्यालय, पीएस, आयुक्त और सीएमएचओ से की गई है।

अस्पताल का तकर्ः हमने शासन को पैसे वापस कर दिए, लेकिन बेटा हमसे मांग रहा है
सिद्धांता अस्पताल के डॉयरेक्टर डॉ. सुबोध वार्ष्णेय ने कहा कि ओम प्रकाश तिवारी को कैंसर था। बीपीएल में होने पर सहायता कोष में आवेदन किया गया था। हरिनारायण ने कहा पैसा नहीं हैं तो हमने इलाज चलने दिया। बाद में सीएम सहायता कोष से राशि मंजूर हो गई। हमने पैसा नवंबर में शासन को वापस कर दिया था। जिला प्रशासन से मरीजों के नाम की सूची तुरंत आ जाए तो गफलत नहीं हो। जो जांच शुरू हुई है, वह भी गलत है। मरीज का बेटा हमसे पैसे की मांग कर रहा था।

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