Saturday 21 April 2018

महाराष्ट्र: 1.5 लाख रिश्वत पर 85 लाख जुर्माना, 10 साल की जेल

अहमदनगर सेशंस कोर्ट


मुंबई की एक निचली अदालत ने कड़ा संदेश देने के उद्देश्य से 1.5 लाख रुपये की रिश्वत लेने वाले PWD डिपार्टमेंट के एक इंजीनियर के खिलाफ 10 साल की कैद और 85 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. दोषी इंजीनियर को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था.

कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जुर्माना न दे पाने की स्थिति में दोषी इंजीनियर को 4 साल अतिरिक्त कैद की सजा भुगतनी पड़ेगी. मुंबई के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PCA) के तहत यह किसी सेशंस कोर्ट द्वारा लगाई गई जुर्माने की यह अधिकतम राशि है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में पुलिस अधिकारी के हवाले से कहा गया है PCA के तहत सजा की अधिकतम एवं न्यूनतम अवधि तो निर्धारित है, लेकिन जुर्माने की कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं है. यह फैसला सुनाने वाले जज के विवेक पर निर्भर करता है कि वह कितना जुर्माना लगाए.

जानकारी के मुताबिक, श्रीरामपुर पंचायत समिति में तैनाती के दौरान अशोक केशवराव मुंडे को 4 मई, 2016 को एक ठेकेदार से 1.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा गया था. मुंडे ने ठेकेदार के एक बिल का भुगतान कराने के एवज में बिल की राशि का 5 फीसदी रिश्वत मांगी थी. अहमदनगर जिला परिषद के गेस्ट हाउस में मुंडे को रिश्वत लेते पकड़ा गया था.

मुंडे को गिरफ्तार कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया और रिकॉर्ड समय में जांच पूरी कर ली गई. जांच अधिकारी ने कोर्ट के समक्ष 2 सितंबर, 2016 को जांच रिपोर्ट पेश की.

अहमदनगर सेशंस कोर्ट के जज एसयू बघेले ने शुक्रवार को मुंडे को सजा सुनाई. जज बघेले ने सरकारी पद का दुरुपयोग करने के लिए मुंडे को 10 साल के सश्रम कारावास और 50 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. इसके अलावा सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत लेने के जुर्म में मुंडे को 7 साल के सश्रम कारावास और 35 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई. हालांकि सजा की दोनों अवधियां साथ-साथ चलेंगी.

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