Tuesday 26 June 2018

फर्जी मैसेज रोकने में विफल हो रहा व्हाट्सएप, जा रही है लोगों की जान | Kosar Express

केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में सांप्रदायिक हिंसा के 822 मामले सामने आए थे।
सोशल मीडिया के इस दौर में स्मार्टफोन लोगों को बेवकूफ बना रहा है। तेजी से फैलती झूठी खबरें न सिर्फ लोगों को गुमराह कर रही हैं, बल्कि लोगों की जान भी ले रही हैं।

पिछले हफ्ते मध्य प्रदेश के दो निर्दोष लोगों को भीड़ ने पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था। बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा जिलों में एक व्हाट्सऐप वीडियो सर्कुलेट हुआ था, जिसमें लोगों से कहा गया था कि दो लोग किसी आदमी के शरीर से अंग निकालने के लिए उसकी हत्या करने जा रहे हैं।

इस अफवाह के बाद गांव के 50-60 लोगों ने दोनों व्यक्तियों को घेरकर पीट-पीटकर घायल कर दिया। पुलिस ने किसी तरह दोनों की जान बचाई। मध्य प्रदेश में फैलाए जा रहे इस फर्जी वीडियो के साथ मैसेज भी भेजा गया था, जिसमें लिखा था कि 500 लोग आस-पास के जिलों में घूम रहे हैं, जो इंसानों को मारकर उनके अंग निकाल लेते हैं। इस मैसेज में लोगों से अपील की गई थी कि वे इस संदेश को अपने परिजनों और रिश्तेदारों को पहुंचाएं।

बालाघाट के पुलिस प्रमुख जयदेवन का कहना है कि पुलिस अफसरों ने स्थानीय व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन किया, तो पता चला कि तीन लोग इस फेक मैसेज को फैला कर रहे थे। व्हाट्सएप पर ऐसे फेक मैसेज नए नहीं हैं। इससे पहले बेंगलुरु में अफवाह फैली की शहर में 400 बच्चा चोर घूम रहे हैं। इसका खामियाजा एक 26 वर्षीय प्रवासी मजदूर को भुगतना पड़ा क्योंकि भीड़ ने उसे अपहरणकर्ता समझकर जमकर पीटा।


इस साल अब तक फर्जी मैसेज की वजह से एक दर्जन से ज्यादा लोगों को पीटा गया है और इनमें से कम से कम तीन लोगों की जान जा चुकी है। बताते चलें कि भारत में 20 करोड़ लोग व्हाट्सऐप इस्तेमाल करते हैं, जिसको भेजे जाने वाले कई मैसेज, फोटो या वीडियो फेक होते हैं।

बावजूद इसके ऐसे मैसेज देखते ही देखते वायरल हो जाते हैं। प्राइवेसी विवाद से जूझ रही कंपनी फेसबुक के लिए व्हाट्सऐप पर फेक सामग्री सिरदर्द बन चुकी है। भारत में हिंदू बनाम मुस्लिम या उच्च जाति बनाम निचली जाति जैसे मुद्दे पहले से मौजूद हैं। ऐसे में फर्जी मैसेज सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाती है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में सांप्रदायिक हिंसा के 822 मामले सामने आए थे। इनमें करीब 2,384 लोग घायल हुए और 111 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि, यह साफ नहीं है कि ऐसी घटनाओं को हवा देने में व्हाट्सएप के फेक मैसेज की कितनी भूमिका थी।

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