देवास। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने लाकडाउन अवधि के दौरान बंद स्कूलों के समर्थन में अपना निर्णय देते हुए कहा है कि बंद स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे अन्य फिस नहीं। जब की स्कूलो कि टीयूशन फीस ही 80 से 90 ℅ होती है । शहर कांग्रेस प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने बताया कि जब लाकडाउन के दौरान स्कूल पूरी तरह से बंद है तो फिर निजी स्कूलों के हक में यह निर्णय केसा ? आज प्रदेश के 25 हजार स्कूलों में 6 लाख बच्चे पहली से कक्षा आठवीं तक के पढ़ते हैं वही 7 हज़ार स्कूल 9वीं से 12वीं तक है पिछले तीन माह से अधिकांश व्यापार व्यवसाय बंद है , फैक्ट्रियों मैं काम करने वाले कामगारों को वेतन नहीं मिला वही लाकडाउन के चलते अभिभावकों के पास आर्थिक तंगी के चलते स्कूलों की फीस भरने के लिए पैसा नहीं है। ऐसे में निजी स्कूलों के हक में राज्य सरकार के द्वारा दिया गया फैसला उचित नहीं है। आज कुछ ही विद्यालय बड़ी क्लास में ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं। जबकि छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा देने का सवाल ही नहीं उठता । इस संदर्भ में उत्तराखंड सरकार ने निजी विद्यालयों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह अगर ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं तो वे फीस ले अन्यथा नहीं। जबकि आज प्रदेश में बिना ऐसी कोई व्यवस्था के सभी निजी स्कूलों को फीस लेने की अनुमति दे दी गई है । इसी के साथ कांग्रेस ने मांग की है कि निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए 2018 में फीस रेगुलेशन एक्ट लाया गया था जो आज भी लंबीत है इसे भी शीघ्र पास किया जाय। निजी स्कूलों की फीस की मनमानी को लेकर गवालियर हाई कोर्ट एवं जबलपुर हाई कोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका के संदर्भ में कोर्ट ने भी कहा है कि प्रदेश के निजी स्कूलों के लिए फ़ीस रेगुलेशन एक्ट तो होना चाहिए। शहर कांग्रेस ने मांग की है कि मुख्यमंत्री शीघ्र ही निर्देशित करें कि लॉक डाउन के दौरान बंद कोई भी निजी स्कूल फीस नहीं ले।
देवास। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने लाकडाउन अवधि के दौरान बंद स्कूलों के समर्थन में अपना निर्णय देते हुए कहा है कि बंद स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही ले सकेंगे अन्य फिस नहीं। जब की स्कूलो कि टीयूशन फीस ही 80 से 90 ℅ होती है । शहर कांग्रेस प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने बताया कि जब लाकडाउन के दौरान स्कूल पूरी तरह से बंद है तो फिर निजी स्कूलों के हक में यह निर्णय केसा ? आज प्रदेश के 25 हजार स्कूलों में 6 लाख बच्चे पहली से कक्षा आठवीं तक के पढ़ते हैं वही 7 हज़ार स्कूल 9वीं से 12वीं तक है पिछले तीन माह से अधिकांश व्यापार व्यवसाय बंद है , फैक्ट्रियों मैं काम करने वाले कामगारों को वेतन नहीं मिला वही लाकडाउन के चलते अभिभावकों के पास आर्थिक तंगी के चलते स्कूलों की फीस भरने के लिए पैसा नहीं है। ऐसे में निजी स्कूलों के हक में राज्य सरकार के द्वारा दिया गया फैसला उचित नहीं है। आज कुछ ही विद्यालय बड़ी क्लास में ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं। जबकि छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा देने का सवाल ही नहीं उठता । इस संदर्भ में उत्तराखंड सरकार ने निजी विद्यालयों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह अगर ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं तो वे फीस ले अन्यथा नहीं। जबकि आज प्रदेश में बिना ऐसी कोई व्यवस्था के सभी निजी स्कूलों को फीस लेने की अनुमति दे दी गई है । इसी के साथ कांग्रेस ने मांग की है कि निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए 2018 में फीस रेगुलेशन एक्ट लाया गया था जो आज भी लंबीत है इसे भी शीघ्र पास किया जाय। निजी स्कूलों की फीस की मनमानी को लेकर गवालियर हाई कोर्ट एवं जबलपुर हाई कोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका के संदर्भ में कोर्ट ने भी कहा है कि प्रदेश के निजी स्कूलों के लिए फ़ीस रेगुलेशन एक्ट तो होना चाहिए। शहर कांग्रेस ने मांग की है कि मुख्यमंत्री शीघ्र ही निर्देशित करें कि लॉक डाउन के दौरान बंद कोई भी निजी स्कूल फीस नहीं ले।
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