वॉट्सऐप और फेसबुक पर वायरल हुई फर्जी सूचनाओं व संदेशों के कारण कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा
वॉट्सऐप दुनिया के सबसे बड़े मैसेजिंग प्लेटफार्मों में से एक है। भारत में इसके बीस करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं और भविष्य में यह संख्या और बढ़ती ही जा रही है। वाट्सऐप ने सूचनाओं व छवियों-तस्वीरों के आदान-प्रदान से लेकर मनोरंजन तक एक बहुत आसान, सर्वसुलभ और तुरंता माध्यम के रूप में अपनी बेजोड़ जगह बना ली है।
सोशल मीडिया मंचों के जरिए फैलाई जाने वाली भ्रामक सामग्री और अफवाहों को लेकर सरकार की चिंता स्वाभाविक है। इन मंचों का दुरुपयोग किस खतरनाक हद तक पहुंच चुका है यह इसी से समझा जा सकता है कि वॉट्सऐप और फेसबुक पर वायरल हुई फर्जी सूचनाओं व संदेशों के कारण हाल में कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। बच्चा चोरी की अफवाहों के चलते पिछले दिनों महाराष्ट्र में 5 लोगों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। इन हत्याओं के साथ इस तरह की घटनाओं में मरने वाले लोगों की संख्या 29 पहुंच गई। बच्चा चोरी की अफवाह का यह मेसेज सालों से व्हॉट्सएप पर फॉरवर्ड हो रहा है। व्हॉट्सएप पर इस तरह के और भी बहुत सारे मेसेज चल रहे हैं जिनकी वजह से हिंसा हुई और कई लोगों की जान गई है। व्हॉट्सएप पर फेक मेसेजों की बहुत ज्यादा भरमार हो गई है। हिंसा और दूसरी गलत जानकारी फैलाने वाले मेसेजों के बावजूद ऐसा क्यों है कि न तो सरकार और न ही व्हॉट्सएप इन मेसेजों पर कोई कार्रवाई कर पाती है?
व्यक्तियों के स्तर पर तो इसका बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो ही रहा है, समूह बनाने तथा सामूहिक विचार-विमर्श और सामूहिक गतिविधियां चलाने में भी यह मददगार साबित हुआ है। पर किसी ने सोचा न होगा कि वॉट्सऐप का जानलेवा इस्तेमाल भी हो सकता है। बेशक, इसके लिए सिर्फ वॉट्सऐप को दोष नहीं दिया जा सकता। हमारे समाज में जो गैर-जिम्मेदारी, नागरिक बोध का अभाव, प्रतिशोध की भावना, नफरत फैलाने वाले निहित स्वार्थों की जैसी सक्रियता मौजूद है उसकी अभिव्यक्ति सोशल मीडिया मंचों पर भी होती रहती है। जब सूचना के माध्यम सीमित थे तो हर स्तर पर यह प्रबंध किया जा सकता था कि वे छन कर ही यानी प्रामाणिक होने पर ही लोगों के सामने आएं। लेकिन जहां हर व्यक्ति सूचना प्रदाता और सूचना प्रसारक हो, वहां प्रामाणिकता की छानबीन बहुत मुश्किल हो गई है। इसलिए सोशल मीडिया के मंच सूचना से ज्यादा झूठ, अर्धसत्य, भ्रम, अफवाह, चरित्र हननऔर विद्वेष फैलाने के माध्यम बन रहे हैं। क्या इस पर रोक लग सकती है?
वॉट्सऐप का कहना है कि इसके लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। इसके लिए सरकार, नागरिक समूहों और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को मिलकर काम करना पड़ेगा। खुद वॉट्सऐप कुछ तकनीकी उपाय करने जा रहा है। इससे पता चलेगा कि किसी ने कब संदेश लिखा और कब भेजा, संदेश भेजने वाले ने खुद लिखा है या अफवाह फैलाने के लिए भेजा गया है। दरअसल, उपयोगकर्ता संदेश या सूचना को लेकर सतर्कता बरतें, इसके लिए कई तकनीकी चिह्न और उपाय विकसित किए जा सकते हैं। लेकिन जहां संगठित और सुनियोजित रूप से झूठ और विद्वेष फैलाया जाता हो, वहां कार्रवाई को लेकर सरकार भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती।
Editorial by Rashid Shaikh Kosar
Kosar Express
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