Tuesday 26 June 2018

गार्डभैया, विधायकों के अंदर जाते ही गेट बंद देना


भोपाल। अब सीएम शिवराज सिंह तो सुनने से रहे। विधानसभा अध्यक्ष होशंगाबाद में अपने ही झंझटों में फंसे हुए हैं। उनसे क्या कहें। एक गार्डभैया ही है जिनसे निवेदन कर सकते हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी में स्थित लोकतंत्र के मंदिर (विधानसभा) में देवताओं का सम्मेलन (मानसून सत्र) आयोजित किया गया है। चुनावी साल है सो सारे देवता अपने अपने ठिए छोड़कर नैमिषारण्य तीर्थ में आए हुए हैं। गार्डभैया बड़े भाग से ऐसे दिन देखने को मिलते हैं लेकिन आज पहला दिन बड़ा खराब सा निकला। सभी देवता सूर्यास्त से पहले ही तीर्थ छोड़कर चले गए। बस इत्ता सा करबद्ध निवेदन है कि कल जब सारे देवता अंदर चले जाएं तो बाहर से दरवाजे पर ताला जड़कर चले जईयो ताकि सूर्यास्त से पहले कोई बाहर ना निकल पाए। 

किसी भी लोकतंत्र में सदन ही सर्वोच्च होता है। वहां लोकतंत्र के भाग्य का फैसला होता है लेकिन मध्यप्रदेश की विधानसभा में जो कुछ होता है, उसे माननीयों का सम्मेलन तो कतई नहीं कहा जा सकता। बहस होती है, आरोप प्रत्यारोप भी होते हैं। विधानसभा अध्यक्ष शांति स्थापना के लिए सदन को कुछ देर के लिए स्थगित कर दें यह भी उचित है परंतु एक बात कभी समझ में नहीं आती कि सदन को अगले दिन तक के लिए स्थगित क्यों कर दिया जाता है। इसके अलावा एक और अजीब सी बात नजर आती है। कांग्रेस वाले बाहर निकलकर कहते हैं कि सरकार जल्दी से जल्दी सदन समाप्त करना चाहती है। मैं तो सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं कि आप शाम तक सदन में टिके क्यों नहीं रहते। आज आप अंत तक टिके रहना, कल अध्यक्ष महोदय सदन स्थगित ही नहीं कर पाएंगे। 

सदन में उपस्थित समस्त 230 बड़े भैया, आप सभी को वेतन हमारे (मैं और मेरे जैसी तटस्थ जनता) के पैसों से मिलता है। जिस कार में आप सवार हैं, उसका ईंधन भी हम अपना पेट काटकर भरवा रहे हैं। इसलिए नहीं कि आप आते जाते सदन के दरवाजे पर मीडिया के कैमरों से नैनमटक्का करें। विनम्र अनुरोध है, कृपया इस बार सदन के भीतर जाएं तो समय पूरा होने के बाद ही बाहर​ निकलें। अंदर जो चाहें करें, लेकिन समय पूरा करें। करबद्ध निवेदन है, जनता को मूर्ख ना समझें, इंदौर के कुछ जिलों में विकास यात्रा का हश्र याद करें, जनता अब हिसाब मांगती है, वो भाजपा-कांग्रेस में फर्क नहीं करेगी।

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