Sunday, 10 June 2018

सियासत में कूदी सिंधिया परिवार की चौथी पीढ़ी, ज्योतिरादित्य की मदद को आए महाआर्यमन | Kosar Express

मध्य प्रदेश में विेधानसभा चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया भी अब राजनीति के मैदान में कूद गये हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया

मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया भी कूद गए हैं. वह अपने पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया की हर चुनावी सभा में जा रहे हैं. बता दें, महाआर्यमन सिंधिया 22 साल के हैं. ये सिंधिया परिवार की चौथी पीढ़ी है, जो सियासी पारी का आगाज़ करती दिख रही है.

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. सियासी बिसात बिछ चुकी है. बीजेपी और कांग्रेस चुनावी सभा में सबसे मजबूत प्यादों का इस्तेमाल कर रही है. इसी कड़ी में हैं सिंधिया परिवार.

शनिवार को कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने के लिए शिवपुरी में महाआर्यमन सिंधिया ने युवा संवाद कार्यक्रम में हिस्सा लिया. आर्यमन ने कार्यक्रम में पूरी तरह राजनीतिक रंग में रंगा हुआ उद्बोधन दिया. अपने पहले सियासी भाषण में महाआर्यमन ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए झूठ की राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने युवाएं को ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करने का संदेश दिया. इस दौरान आर्यमन ने जोशीलें गीत गाकर कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन किया.


सिंधिया परिवार का राजनीतिक कनेक्शन-

सिंधिया परिवार का सियासत से पुराना नाता रहा है. परिवार के लोग भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों में ही अहम चेहरे रहे हैं. इस राज परिवार का ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 विधानसभा सीटों पर खासा असर भी माना जाता है.

विजयाराजे सिंधिया को इस क्षेत्र में राजमाता कहा जाता था. वे भारतीय जनता पार्टी की संस्थापक सदस्य रही हैं, जबकि उनके बेटे माधवराव सिंधिया कांग्रेस के कद्दावर नेता के रूप में उभरे.

माधवराव सिंधिया ने सियासत की शुरुआत जनसंघ के साथ ही की थी. वर्ष 1971 में महज 26 साल की उम्र में उन्होंने जनसंघ के समर्थन से चुनाव लड़ा. वहीं वर्ष 1977 में माधवराव ने निर्दलीय रूप से ग्वालियर का चुनाव लड़ा. हालांकि इसके बाद वर्ष 1979 में उन्होंने अपनी मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया के विपरीत जाकर कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली थी. इसे लेकर राजमाता और माधवराव के बीच कटुता की भी खबरें आईं.

माधवराव के लिए यह चुनाव जीतना लोहे के चने चबाने जैसा था, जिसके बाद राजमाता को उनके पक्ष में अपील करनी पड़ी, तब जाकर माधवराव अकेले ऐसे प्रत्याशी थे, जो मध्य प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों में से एक पर निर्दलीय विजयी हुए. बाकी पर जनसंघ की जीत हुई.

विजयाराजे सिंधिया की तीन पुत्रियां ऊषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे हैं. विजयाराजे सिंधिया के जीवित रहते ही परिवार में संपत्ति के बंटवारे का विवाद शुरू हो गया था.

कोर्ट में मुकदमाबाजी के बाद भी सिंधिया परिवार के सदस्य विरोधी राजनीतिक दलों के सदस्य होने के बाद भी कभी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में नहीं उतरते हैं. विजयाराजे सिंधिया हमेशा ही गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव लड़तीं थीं. माधवराव सिंधिया के इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने पर विजयाराजे सिंधिया चुनाव नहीं लड़तीं थीं. माधवराव सिंधिया जब ग्वालियर से चुनाव लड़ते थे, तब वे गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़तीं थीं.

विजयाराजे सिंधिया की राजनीतिक विरासत को क्षेत्र में यशोधरा राजे सिंधिया ने ही संभाला है. यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़तीं हैं.


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