इंसाफ के लिए आधी रात को इंडिया गेट पर जुटे हजारों लोग
इंडिया गेट... गुरुवार की आधी रात को एक बार फिर हजारों लोगों की जीवित चेतना का गवाह बना. रेप जैसे मामलों में सरकारों के ढीले-ढाले रवैये और वहशी दरिंदों के खिलाफ कड़ा एक्शन न होने से लोगों के दिलों में पल रहा आक्रोश एक बार फिर खुलकर सामने आया. यही इंडिया गेट 5 साल पहले निर्भया के लिए इंसाफ की मांग को लेकर खड़े हुए लोगों का गवाह रहा है.
गुरुवार को सूरज ढलने से पहले किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि आधी रात को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की एक अपील पर हजारों लोग इंडिया गेट पहुंचेंगे और 8 साल की बच्ची आसिफा के साथ उन्नाव रेप पीड़िता के लिए अपनी आवाज बुलंद करेंगे.
सोशल मीडिया पर देर शाम करीब साढ़े आठ बजे के करीब एक ट्वीट वायरल होना शुरू हुआ और इसी को रीट्वीट करते हुए कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम हेड ने लोगों से इंडिया गेट पहुंचने की अपील की. फिर राहुल गांधी का ट्वीट आया और लोग इंडिया गेट की ओर चल पड़े.
हम लोग करीब 11 बजे तक इंडिया गेट पहुंच गए थे. पूरी टीवी मीडिया का जमावड़ा लगा था. लोग पीटूसी कर रहे थे. हालांकि बहुत ज्यादा भीड़ नहीं थी... लेकिन धीरे-धीरे संख्या बढ़ रही थी. आधे घंटे बाद इंडिया गेट के ठीक सामने राजपथ टी-प्वाइंट पर हजारों लोग खड़े थे.
रात अपने शबाब पर थी और लोगों का आक्रोश भी... केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी हो रही थी. कितनी निर्भया? कितनी आसिफा? अब बस... सहित बलात्कारियों को फांसी... देने के नारे भी गूंज रहे थे. मानसिंह रोड पर कांग्रेस नेताओं के साथ राहुल गांधी पहुंच चुके थे. मीडिया के कैमरे उन्हें घेरे हुए थे. गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, शक्ति सिंह गोहिल, अशोक गहलोत जैसे नेता राहुल के इर्द गिर्द खड़े थे.
नेताओं और मीडिया का ये रेला धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू हुआ कि लगभग भगदड़ जैसा माहौल हो गया. दिल्ली पुलिस अपने लाव लश्कर के साथ खड़ी थी, बैरिकेड लगे थे. फिर ये गुट बंट गया. आधे लोग राजपथ पर बढ़ने लगे तो राहुल गांधी दूसरी तरफ से निकले... हम लोग राजपथ की ओर दौड़े. लगा राहुल गांधी इसी रास्ते से इंडिया गेट की ओर जा रहे हैं.
लेकिन नहीं, ये प्रियंका गांधी थीं, जो अपनी बेटी और कांग्रेस नेताओं के साथ इंडिया गेट की ओर चल रही थीं. कांग्रेस नेता दीदी... दीदी करते-करते नारे लगाए जा रहे थे. प्रियंका रोड छोड़कर मैदान में चल रही थीं, लेकिन वहां कीचड़ पसरा हुआ था. फिर अफरातफरी फैली. किसी तरह प्रियंका राजपथ पर आईं और लोग तेजी से इंडिया गेट की ओर बढ़ चले.
यहां आकर राहुल गांधी के साथ आ रहे लोग भी मिल गए... जैसे दो धाराएं आपस में समा गई हों. ये पूरा जनसमूह इंडिया गेट के साये की ओर बढ़ने लगा. बैरिकेड ढह गए... लोग एक-एक कर जालियां फांदकर बढ़ने लगे. दिल्ली पुलिस अपने हाथ बांधे रही. भीड़ बहुत ज्यादा हो गई थी. राहुल-प्रियंका का साथ कोई छोड़ना नहीं चाह रहा था.
इंडिया गेट के पास लोग पहुंचे तो बैठो-बैठो की आवाजें उठनी शुरू हुईं. प्रियंका गांधी अपने लोगों के साथ जमीन पर बैठ भी गईं, लेकिन पब्लिक बैठने के मूड में नहीं थी. नारेबाजी होती रही. भीड़ का रेला कभी दाई ओर झुकता, तो कभी बाई ओर... लोग ठिठककर राहुल को सुनने को तैयार नहीं थे, हर कोई उनके समीप जाने की जुगत में लगा था. इनमें से ज्यादातर अपने नेता को चेहरा दिखाने की होड़ में थे.
ऐसा लग रहा था जैसे लोगों का रेला बाढ़ के पानी की तरह बह रहा हो. कभी इधर तो कभी उधर... राहुल गांधी के साथ लोग धक्कामुक्की खाते रहे. लगभग 15 मिनट ऐसा ही माहौल रहा... इसके बाद राहुल गांधी ने मुख्य सड़क की ओर वापस लौटना शुरू किया.
सिक्योरिटी गार्ड राहुल गांधी को सड़क किनारे खड़ी उनकी कार के पास ले गए. यहां भी लोगों का हुजूम इकट्ठा हो गया. मीडिया ने उन्हें घेर लिया. फिर लोग उनसे कार पर चढ़ने की मांग करने लगे. ताकि बढ़िया फुटेज मिल सके. राहुल ने उनकी मांग को पूरा किया. वे कार के ऊपर बैठ गए और मीडिया से बात की.
कांग्रेस नेता भी उनके आसपास फोटो खिंचवाने लगे. मेरे बगल में खड़े संजय निरूपम ने राजीव शुक्ला के साथ फोटो खिंचवाते वक्त किसी तीसरे शख्स को हिदायत देते हुए कहा कि फ्रेम में राहुल भाई जरूर आएं.
मीडिया को बाइट देने के बाद राहुल गांधी अपनी कार में बैठ गए. कांग्रेस नेता के साथ लोग भी रिलैक्स हो गए थे. उन्हें समझ आ गया था कि बेटियों की सुरक्षा के नाम पर तत्काल उठ खड़ा हुआ ये विरोध प्रदर्शन अब अपने वृत्त को पूरा कर रहा है. अचानक से फिर हलचल होती है.
इंडिया गेट की ओर से प्रियंका गांधी के साथ लोगों की भीड़ चली आती है. प्रियंका सीधे राहुल की कार के पास जाती है. दोनों लोग एक कार में सवार हो जाते हैं और काफिला निकल पड़ता है.
भीड़ छंटने लगी थी और उनींदी आंखों वाले लोग इंडिया गेट से विदा लेते हैं. उन्नाव की रेप पीड़िता और कठुआ की आसिफा के लिए न्याय की लड़ाई बहुत लंबी है.
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